नई दिल्ली/भाषा। इजरायल विवाद पर दो साल पहले ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाली कंजरवेटिव पार्टी की भारतीय मूल की वरिष्ठ सांसद प्रीति पटेल के आलोचक उस समय भले उनके इरादे न भांप पाए हों, लेकिन बोरिस जॉनसन सरकार में गृह मंत्री बनकर उन्होंने शतरंज के इस उसूल को सही साबित कर दिया कि बाजी जीतने के लिए कभी-कभी पीछे भी हटना पड़ता है।
भारतीय समुदाय में बेहद लोकप्रिय प्रीति को ब्रिटेन में दृढ़ विचारों और तीखे तेवर वाली मजबूत नेता के तौर पर देखा जाता है। उनका राजनीतिक जीवन कदम दर कदम आगे बढ़ा और पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने पटेल में भविष्य की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए ही उन्हें संसदीय चुनाव के उम्मीदवारों की ‘ए-लिस्ट’ में रखने की सिफारिश की थी। कैमरन के इस्तीफा देने के बाद पटेल ने टेरेसा मे के नाम का समर्थन किया था। वह टेरेसा सरकार में अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री बनाई गई। हालांकि इजरायल विवाद के चलते उन्हें टेरेसा मे को ही माफी सहित अपना इस्तीफा सौंपना पड़ा।
समय अपनी रफ्तार से दौड़ता रहा और एक वक्त आया कि टेरेसा को प्रधानमंत्री पद छोड़ देना पड़ा। इस बार प्रीति पटेल को कंजरवेटिव पार्टी के नेता पद के सशक्त उम्मीदवार के तौर पर देखा गया, लेकिन उन्होंने बोरिस जॉनसन का समर्थन किया। बोरिस ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पटेल को गृह मंत्री का मजबूत ओहदा दिया और इसके साथ प्रीति ने सत्ता के शीर्ष पर एक कदम और बढ़ा दिया।
प्रीति सुशील पटेल का जन्म 29 मार्च, 1972 को सुशील और अंजना के यहां हैरो में हुआ। उनके माता—पिता भारत में गुजरात से ताल्लुक रखते थे और युगांडा से एशियाई लोगों को निकाले जाने के बाद ब्रिटेन में हर्टफोर्डशायर में आकर बस गए। वेस्टफील्ड टेक कॉलेज, कील यूनिवर्सिटी और एसेक्स यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के दौरान ही वे ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री और ‘लौह महिला’ मार्गेरेट थैचर को अपना आदर्श मानने लगीं, जिसका नतीजा यह हुआ कि उनके विचार और तेवर फौलादी होने लगे।
जॉन मेजर के प्रधानमंत्री रहते वह 1997 में कंसरवेटिव पार्टी में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने लंदन और साउथ ईस्ट ऑफ इंग्लैंड में मीडिया संबंधी मामलों के विभाग में काम किया। अगस्त 2003 में उन्होंने एक लेख लिखकर अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले भेदभाव पर अपना मुखर विरोध दर्ज कराया।
इस बीच उनका राजनीतिक कद बढ़ने लगा और उन्होंने 2005 के चुनाव में नाटिंघम नॉर्थ से कंजरवेटिव पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन लेबर पार्टी के ग्राहम एलन से हार गईं। 2010 के आम चुनाव में उन्हें सेंट्रल एसेक्स में वीथम की सुरक्षित सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया और वह जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं।
साल 2014 से पटेल का चेहरा भारत में भी पहचाना जाने लगा जब उन्होंने बीबीसी पर भारत के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकतरफा रिपोर्टिंग का आरोप लगाया। जनवरी 2015 में उन्हें अहमदाबाद में ‘ज्वेल ऑफ गुजरात’ का खिताब दिया गया और उन्होंने गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रबल समर्थक और उनकी ब्रिटेन यात्रा के समय ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर पूरी व्यवस्था की देखरेख करने वाली प्रीति पटेल ने मजबूत कदमों के साथ मंजिल का सफर तय किया है और कई मौकों पर अपनी बेबाक राय रखी है। कोई हैरत की बात नहीं अगर कंजरवेटिव पार्टी में दक्षिणपंथी विचारधारा की समर्थक प्रीति पटेल आने वाले वर्षों में सत्ता के शिखर पर नजर आएं।