नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भगवान के बाद अगर धरती पर किसी को ‘जीवनदाता’ का दर्जा दिया जाता है तो वे डॉक्टर हैं जो अपने ज्ञान से आरोग्य देते हैं। वहीं, एक डॉक्टर ने अपनी सनक के कारण जीवन देने का नहीं बल्कि सांसें छीन लेने का ऐसा जाल बुना कि कई लोग उसमें फंसते गए। इन लोगों की तादाद कितनी है, यह तो उस डॉक्टर को भी नहीं पता। उसके मुताबिक, उसने 100 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा था। बाद में उनके शव मगरमच्छों को खिला दिए।
इस डॉक्टर का नाम देवेंद्र शर्मा (62) है। इसके लिए किसी इंसान की जान लेना इतना मामूली काम था कि उसने 50 कत्ल करने के बाद गिनना ही छोड़ दिया। उसका मानना है कि अब तक उसने जिन लोगों को शिकार बनाया, उनकी तादाद 100 से ज्यादा रही होगी और ज्यादातर शव उप्र की एक नहर में फेंक दिए जहां वे मगरमच्छों के निवाले बन गए।
बता दें कि देवेंद्र शर्मा को हाल में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। उसे किडनी गिरोह मामले में 16 साल की सजा हुई थी। वह परोल पर बाहर आया लेकिन 20 दिनों की तय अवधि के बाद भी जेल नहीं लौटा बल्कि अंडरग्राउंड हो गया। पुलिस की सख्ती से वह बपरोला इलाके से पकड़ में आया और अब उसके कांड का भंडाफोड़ हो रहा है। उसने जनवरी से ही यहां पनाह ले रखी थी।
इन लोगों को बनाया शिकार
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, उसने ज्यादातर ट्रक और टैक्सी ड्राइवरों को शिकार बनाया जिनका ताल्लुक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पड़ोसी राज्यों से था। पुलिस ऐसे मामलों की जांच में जुटी है।
बताया गया है कि देवेंद्र शर्मा के पास बीएएमएस की डिग्री है। वह उत्तरप्रदेश प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित पुरेनी गांव से है। वह अपहरण और हत्या के कई मामलों में पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है। इसके अलावा, उप्र में फर्जी गैस एजेंसी के संचालन मामले में उसकी दो बार गिरफ्तारी हो चुकी है।
यही नहीं, देवेंद्र शर्मा पर किडनी बेचने के गिरोह से जुड़े होने का भी आरोप है और वह कई राज्यों में जेल जा चुका है। देवेंद्र ने जब बिहार के सीवार से बीएएमएस की डिग्री ली तो उसके परिवार को उम्मीद थी कि वह लोगों को ज़िंदगी देकर यश प्राप्त करेगा लेकिन एक घटना के बाद वह खूंखार सीरियल किलर बन गया।
एक नुकसान और चुन ली जुर्म की राह
यूं तो उसने जयपुर में अपना क्लिनिक भी खोल लिया था और लोगों के बीच उसकी प्रतिष्ठा बनने लगी थी। साल 1992 में उसने गैस डीलरशिप स्कीम में 11 लाख रुपए लगाए और यहां उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा। फिर वह गलत राह चल पड़ा। उसने 1995 में छारा गांव में एक गैस एजेंसी शुरू की। यह सिर्फ नाम की ही गैस एजेंसी थी क्योंकि इसका संचालन पूरी तरह फर्जीवाड़े पर आधारित था।
धीरे-धीरे देवेंद्र जुर्म की दुनिया में इतना आगे बढ़ गया कि अब गंभीर अपराध करना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं रह गई। उसके गैंग के लोग एलपीजी सिलेंडर ले जाने वाले ट्रकों पर धावा बोलते और उन्हें लूट लेते। वे लूटे गए सिलेंडरों को अपनी एजेंसी में खपा देते, वहीं उन ट्रकों के ड्राइवरों की हत्या कर देते।
देवेंद्र का लालच बढ़ता जा रहा था। इसी के साथ वह और खूंखार हो गया। साल 1994 में वह किडनी प्रत्यारोपण के अंतरराज्यीय गिरोह में शामिल हो गया। करीब दस साल बाद यानी 2004 में उसकी करतूतों का उस समय पर्दाफाश हुआ जब गुड़गांव किडनी गिरोह मामले में कुछ डॉक्टरों के साथ वह भी गिरफ्तार कर लिया गया।
रच रहा था षड्यंत्र
देवेंद्र के गिरोह ने कई कैब ड्राइवरों को भी मौत के घाट उतारा है। ये उनका वाहन लूट लेते और ड्राइवर को मारकर शव नहर में फेंक देते। इसके बाद कार को बेच देते। देवेंद्र से जुड़ा एक चौंकाने वाला पहलू यह है कि जेल में उसका बर्ताव अच्छा रहा और इस वजह से उसे जनवरी में 20 दिन का परोल मिला। हालांकि, देवेंद्र का ‘अच्छा बर्ताव’ सिर्फ एक दिखावा था। जेल से बाहर आते ही उसने एक कारोबारी को ठगने का षड्यंत्र रच लिया लेकिन इसे अंजाम देने से पहले ही पकड़ में आ गया।
यह भी सामने आया है कि पहले वह मोहन गार्डन रहता था, फिर बपरोला आ गया। उसने एक विधवा महिला से शादी कर ली और खुद को प्रोपर्टी कारोबारी बताने लगा। इस बार वह फिर कोई कांड करता, इससे पहले ही पुलिस ने उसे दबोच लिया।