नई दिल्ली/भाषा। प्रमुख सहकारी उर्वरक संस्था इफको की अनुषंगी कंपनी, इफको किसान ने खेती-बाड़ी को और लाभकारी तथा पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए पहल की है। उसने किसानों को खेती-बाड़ी में मदद और उपयुक्त समय पर जरूरी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित किया है। इससे जुड़ने वाले किसानों को उनके खेत विशेष के बारे में समुचित जानकारी उपग्रह (सैटेलाइट) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की मदद से तुंरत उपलब्ध होगी।
इफको किसान के एग्रीटेक विभाग के प्रमुख मोरप नमगेल ने बताया, ‘किसानों के सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए कंपनी ने एक मोबाइल ऐप ‘कृषि देव ज्ञान’ विकसित किया है। इसमें उपग्रह के इस्तेमाल और एआई के जरिए किसानों को उनके छोटे-बड़े खेतों, वहां मिट्टी की उर्वरता और उसमें पोषक तत्वों की कमी या प्रचुरता, उस क्षेत्र में मौसम की दैनिक स्थिति, उर्वरकों, पानी, कीटनाशकों इत्यादि के प्रयोग की आवश्यकता के बारे में यथासमय जानकारी प्राप्त हो सकेगी। खेती-बाड़ी के दौरान पूरे दिन इफको किसान के विशेषज्ञों का दल किसानों को उनकी समस्याओं से निपटने के बारे में सुझाव उपलब्ध कराएंगे।’
नमगेल ने कहा, ‘यह ऐप, उपग्रह और एआई के इस्तेमाल के जरिए किसानों से उनके खेत और फसल से जुड़ी समस्याओं के बारे में यथासमय जानकारी लेकर किसानों को उससे निपटने के उपायों के बारे में सूचना उपलब्ध कराएगा। किसान अपने खेत में खड़े होकर इफको किसान के विशेषज्ञों को अपने फसल की तस्वीर भेजकर अपनी समस्या से अवगत करा सकते हैं और उससे निपटने के उपायों की जानकारी ले सकते हैं। इस तकनीक की मदद से खेती से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों, बीमारी, कीटों के हमले आदि पर पूरी निगरानी रखी जा सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर किसानों के खेतों के रकबे छोटे हैं अथवा दूर-दूर फैले होते हैं और हर खेत की स्थिति अलग होती है। ऐसे में किसान को किसी क्षेत्र विशेष के बारे में वृहद जानकारियां लेनी हो तो वे इफको किसान की मदद से अपने खेत में सब्सिडी युक्त उपकरण लगवा सकते हैं।’
नमगेल ने कहा, ‘ये उपकरण दो तरह के हैं। एक उपकरण दो से तीन एकड़ के खेत के बारे में छोटी से छोटी जानकारी देने में सक्षम है। जैसे खेत के किसी खास हिस्से में कौनसे कीड़े लग रहे हैं और फसल उत्पादकता के लिए खेत के किस हिस्से में कौनसी दवा का इस्तेमाल किया जाना है इत्यादि। इस उपकरण की सब्सिडी युक्त कीमत लगभग 15,000 रुपए है। दूसरा उपकरण ऐसी ही सूक्ष्म जानकारी दो-तीन किलोमीटर में फैले खेत के बारे में दे सकता है जिसकी कीमत 35-40 हजार रुपए है।’
नमगेल ने कहा, ‘इस सेवा के जरिए किसान सही प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से अपने फसल की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।’
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, ‘गुजरात के अंदर किसान निर्यात करने योग्य जीरा उत्पादन करने की पिछले चार वर्षो से कोशिश कर रहे थे। इफको किसान के प्रशिक्षण, जानकारी दिए जाने के बाद वर्ष 2020 में किसान निर्यात गुणवत्ता वाले जीरा उगाने में सफल रहे हैं और किसानों का लाभ भी पहले के मुकाबले बढ़ा है।’ इफको किसान, सही समय पर फसल चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काम करती है। इन तौर तरीकों एवं तकनीकों के कारण किसानों की खेती की लागत कम हो जाती है क्योंकि इसमें नुकसानदायक रसायनों के उपयोग को कम करने और उचित समय पर एवं सही मात्रा में रसायनों के इस्तेमाल करने के बारे में भी बताया जाता है।
नमगेल ने बताया कि यह ऐप, किसानों से उनके खेत की स्थिति, उसके आकार, सिंचाई के तरीके एवं तिथि, बीज की किस्म, फसल का नाम, बोने की तारीख इत्यादि जैसे ज़रूरी आंकड़े इकट्ठा करता है। इन आंकड़ों के आधार पर कृषि वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ किसान को सही परामर्श उपलब्ध कराते हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को परामर्श उपलब्ध कराने के संदर्भ में, सिस्टम में किसानों द्वारा अपलोड की गई तस्वीर के आधार पर उन्हें परामर्श जारी किया जाता है। यानि अगर कोई चित्र खेत से अपलोड किया गया है तो स्वत: परामर्श सीधे किसान के मोबाइल नंबर पर आएगा, जिसमें रोग, कीट, इसकी गंभीरता, सुझाव एवं समाधान का पूरा विवरण होगा। यह किसान के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है क्योंकि किसान को सिर्फ रोगयुक्त पौधे की सिर्फ तस्वीर देनी होती है और उन्हें तत्काल अपनी स्थानीय भाषा में उचित सुझाव एवं समाधान मिल जाते हैं।