अहमदाबाद। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को यहां महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के दौरे के दौरान बापू के निवास हृदयकुंज के बरामदे में रखे उस प्रख्यात चरखे को चलाने से विनम्रता पूर्वक इंकार कर दिया जिसे इस आश्रम का दौरा कर चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत लगभग सभी देशी-विदेशी मेहमान चला चुके हैं।आश्रम ट्रस्ट की चेयरमेन ईला भट्ट ने बताया कि कोविंद गांधी के चित्र पर सूत की पारंपरिक माला डालते हुए और प्रतिमा पर फूलहार डालते हुए भावुक हो गए थे। उनसे जब हृदय कुंज में रखा चरखा कांतने का आग्रह किया गया तो उन्होंने विनम्रता पूर्वक यह कहते हुए इंकार कर दिया कि नियमत: इसे चलाने का अधिकार उसे है जो नियमित तौर पर खादी पहनता हो। चूकि वह ऐसा नहीं करते इसलिए वह इसके अधिकारी नहीं है। ट्रस्ट के एक अन्य न्यासी अमृत मोदी ने बताया कि कोविंद आश्रम के संग्रहालय में गए जहां गांधी के करीब ३० हजार पत्रों का संकलन है और वर्ष १९३० में आश्रम के तत्कालीन स्वरूप का मॉडल है। उन्होंने बोरसली का एक पौधा भी आश्रम में लगाया। कोविंद रविवार को ही दो दिन के गुजरात दौरे पर पहुंचे हैं। स्वतंत्रता संग्राम की कई ऐतिहासिक घटनाओं के सूत्रधार रहे इस आश्रम का इस वर्ष शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। कोविंद ने आश्रम की आगंतुक पुस्तिका में भी अपनी भावनाएं दर्ज की। उन्हें आश्रम की ओर से चरखे की एक प्रतिकृति और गांधी की आत्मकथा भेंट की गई। उनके दौरे के दौरान राज्यपाल ओ पी कोहली, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल भी उपस्थित थे।
बापू का चरखा चलाने से राष्ट्रपति ने किया विनम्रता पूर्वक इंकार
बापू का चरखा चलाने से राष्ट्रपति ने किया विनम्रता पूर्वक इंकार