मुंबई। इडली हमें शुद्ध रूप से भारतीय व्यंजन लगता है और इस पर तमिलनाडु और कर्नाटक के लोग अपना अपना दावा भी करते हैं लेकिन व्यंजन इतिहासकारों का मानना है कि इडली दक्षिण भारतीय व्यंजन नहीं है और यह रेसेपी इंडोनेशिया से या अरब व्यापारियों के जरिए भारत आई है।
अगर आप सुबह में कुछ हल्का-फुल्का खाना चाहते हैं तो इससे बेहतर क्या हो सकता है कि आप अपने दिन के खाने की शुरुआत इडली के साथ करें। भाप में पकाया हुआ यह व्यंजन गोल आकार वाला, बेहद मुलायम तथा हल्का होता है। इडली को गर्म सांभर और नारियल की चटनी के साथ परोसा जाता है।
दक्षिण भारत के इस व्यंजन का स्वाद अगर आपने अभी तक नहीं लिया है तो अब ले लें क्योंकि इडली बनाने वाले शेफ और इसके जानकारों का मानना है कि यह व्यंजन पूरे विश्व में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि इडली गोल होती है लेकिन ऐसा नहीं है। इसे विभिन्न आकार में बनाया जा सकता है और सांभर और चटनी के अलावा भी अन्य व्यंजनों के साथ भी परोसा जा सकता है। चेन्नई के ताज कोरोमांडेल होटल के कार्यकारी शेफ सुजान मुखर्जी ने बताया, ‘ तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों ही राज्य यह दावा करते हैं कि इन्होंने इस व्यंजन को बनाने की कला दुनिया को सिखाई है। इडली बनाने की विधि का जो हवाला मिलता है वह आठवीं शताब्दी तक जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘ लेकिन हममें से कई लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि इडली की उत्पत्ति दक्षिण भारत में नहीं हुई है। कुछ व्यंजन इतिहासकारों का मानना है कि यह इंडोनेशिया में भाप से तैयार किए गए चावल की विधि से निकलकर आया है। ऐसा माना जाता है कि इस व्यंजन को इंडोनेशिया में शासन करने वाले हिंदू राजा के रसोइयों ने बनाया था।’ वहीं इडली पर दूसरा दावा अलग है। कुछ व्यंजन इतिहासकारों का मानना है कि अरब व्यापारियों ने दक्षिण भारत के लोगों का इडली से परिचय कराया था ,जो व्यापार के लिए लगातार दक्षिणी तट पर आते-जाते रहते थे।
शेफ ने बताया कि दुनियाभर में इडली काफी विविधता वाला व्यंजन है। इसमें कुछ कांचीपुरम इडली (इस पर काली मिर्च और नारियल छिड़का जाता है) और रामेसरी इडली (यह केरल का सपाट और मुलायम इडली) है।
सभी प्रकार के इडली को भाप से ही तैयार किया जाता है लेकिन इनमें से कुछ ऐसे हैं जिन्हें भाप के साथ तैयार करने के बाद तला-भूना भी जाता है।
इडली बनाने के लिए कच्चा चावल, उबला चावल और उड़द की दाल का इस्तेमाल होता है।