काम आई लघु बचत की ताकत और मोदी की नसीहत

काम आई लघु बचत की ताकत और मोदी की नसीहत

रायसेन। बुजुर्ग कहा करते थे कि अगर इन्सान ध्यान से किसी इन्सान की बात सुने और उस पर गंभीरता से विचार करे तो कई बार ऐसी समस्याओं से भी पार पा लेता है, जिनसे निपटना आम व्यक्ति के लिए लगभग असंभव लगता है। कई बार दूसरों का एक प्रेरक शब्द भी किसी की जिंदगी के लिए अमूल्य धरोहर बन जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में जनधन योजना लागू करने के बाद देश-दुनिया में भारतीय गरीबों की अमीरी और लघु बचत की ताकत पर काफी कुछ कहा था। उनकी बातें रायसेन के हसीब हिंदुस्तानी बेहद ध्यान से सुन रहे थे। उन्हें और उनके पूरे परिवार को प्रधानमंत्री की बातों से अपना एक सपना पूरा करने की उम्मीद नजर आई्। दस लोगों का पूरा परिवार जुट गया अपने सपनों की हीरो स्प्लेंडर मोटरसाइकिल खरीदने का सपना पूरा करने में्।

तीन वर्ष तक मेहनत से जोड़ी एक-एक पाई की बचत करने के बाद हसीब इसी हफ्ते अपने घर के पास ही स्थित हीरो मोटरसाइकिल के शो-रूम पहुंचे तो उनके पास 57 हजार रुपए थे। इनमें खनक थी, एक बेहद मार्मिक कहानी भी थी। हसीब 10 रुपए के 322 सिक्के, पांच रुपए के 1,458 सिक्के, दो रुपए के 15,645 सिक्के और एक रुपए के 14,600 सिक्के लेकर शो-रूम पहुंचे थे। निश्चित था कि सिक्कों को देखकर शो-रूम में कोई न कोई नाटक होना था। हसीब को मन में संदेह तो था ही और शो-रूम के मैनेजर ने इतने सारे चिङ्घल्लर लेने से पहली बार इन्कार किया तो उन्हें इसमें गलत कुछ नहीं लगा। क्योंकि सिक्के लेने पर सबसे पहली चुनौती तो उन्हें गिनने की होती।

वहीं, जब उन्होंने अपने पूरे परिवार के सपने और उसे सच करने के जज्बे की कहानी मैनेजर को सुनाई तो मैनेजर भी हसीब के जज्बे को सलाम करने से खुद को रोक न सका। उसने तत्काल शो-रूम के पूरे स्टाफ को सिक्कों की गिनती के लिए लगा दिया। सभी मिलकर तीन घंटों में पूरे सिक्कों की गिनती कर सके।

About The Author: Dakshin Bharat