नई दिल्ली। स्कॉटलैंड 80,077 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फ़ैला एक बहुत बड़ा देश है। थोड़ी देर के लिए सोचिए यदि इस पृथ्वी पर इस देश के आकार जितना कोई छेद हो जाए जो क्या हो सकता है। इससे भारी नुकसान हो सकता है। एक ऐसे ही छेद ने इन दिनों पर्यावरण विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। इतना बड़ा एक छेद बर्फ से ढके अंटार्टिका में देखा गया है। पर्यावरण विशेषज्ञों के लिए यह एक चिंता का विषय है क्योंकि अंटार्टिका भी हमारी धरती का ही हिस्सा है और यदि वहां की बर्फ़ पिघल रही है, तो यह पूरी दुनिया के लिए सुखद संकेत नहीं है।
अंटार्टिका के वेडेल समुद्र के बीच पर पिछले महीने एक बड़ा सा छेद देखा गया। यह छेद अंटार्टिका के समुद्री तट से काफ़ी अंदर है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो के प्रोफेसर केंट मूर का इस संबंध में कहना है ‘ये आइस एज से सैंकड़ों किलोमीटर अंदर बना है। अगर उपग्रहीय तस्वीरें उपलब्ध नहीं होती तो हमें इस छेद के बारे में कभी पता ही नहीं चलता।’ इस तरह के छेद को पॉलीन्या कहते हैं। पॉलीन्या यानी कि एक ऐसा क्षेत्र जो बर्फ़ीले पानी से घिरा हो। पॉलीन्या को सबसे पहले वर्ष 1970 में देखा गया था। लेकिन अंटार्टिका में अब जिस पॉलीन्या को देखा गया है, वह 70 के दशक में देखे गए पॉलीन्या की तुलना में 5 गुना बड़ा है।
वैज्ञानिक फ़िलहाल इस छेद के बनने के कारणों का पता लगाने में जुटे हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह छेद लंदन शहर से 50 गुना बड़ा है। एक वेबसाइट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इसका आकार 68,401 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले तस्मानिया देश जितना बड़ा है। एक ओर दुनिया के वैज्ञानिक इस छेद के बनने के कार्यों को जानने के लिए शोध कार्य में जुटे हैं वही दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि यह छेद दूसरी दुनिया से आए लोगों यानी कि एलियनों ने बनाए हैं।