नई दिल्ली/भाषाराज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने से जु़डे सात दलों के महाभियोग के प्रस्ताव को जल्दबाजी में खारिज नहीं किया, बल्कि इसका फैसला एक महीने तक पूरी तरह सोच-विचार करने के बाद लिया गया।इस प्रकरण से साफ हो गया है कि अब कांग्रेस में कोई भी समझदार नेता या तो बचा नहीं है या फिर पप्पू की संगत में पप्पू हो गये हैं। गौरतलब है कि सभापति ने हाल ही में सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के नोटिस को गैर-संवैधानिक और राजनीतिक करार देते हुए खारिज कर दिया था। इस पर कांग्रेस बुरी तरह बिफर गई और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू पर ही सवाल ख़डे कर दिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि सभापति ने इस मामले में बिना कोई जांच कराए ही नोटिस को खारिज कर दिया। यह जल्दबाजी में किया गया। वेंकैया नायडू ने आगे कहा, ’’सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस खारिज करने का फैसला पूरी तरह संविधान और न्यायाधीश जांच अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया गया।’’ सुप्रीम कोर्ट के १० वकील इस मामले में वेंकैया से मिले थे और उनसे बातचीत करते हुए सभापति ने कहा, ’’मैंने अपना काम कर दिया है और मैं इससे पूरी आश्वस्त हूं।’’ गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व में सात दलों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पिछले हफ्ते उपराष्ट्रपति को दिया था। कांग्रेस ने सीपीएम, सीपीआई, एसपी, बीएसपी, एनसीपी और मुस्लिम लीग के समर्थन का पत्र उपराष्ट्रपति को सौंपा था। भले ही कांग्रेस के भीतर सभापति के महाभियोग नोटिस को खारिज करने पर विरोध चल रहा हो, लेकिन बीजेपी ने सभापति के इस कदम को लोकतंत्र को बचाने वाला कदम बताया।
नोटिस खारिज करने पर बोले उपराष्ट्रपति नायडू जल्दबाजी में नहीं लिया फैसला
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