बाल तस्करी के खिलाफ अंतराष्ट्रीय संस्थाओं के बीच अधिक सक्रिय सहयोग की जरूरत : सत्यार्थी

बाल तस्करी के खिलाफ अंतराष्ट्रीय संस्थाओं के बीच अधिक सक्रिय सहयोग की जरूरत : सत्यार्थी

अम्मान। नोबेल पुरस्कार विजेता और जाने माने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने आज कहा कि बाल तस्करी की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए यूनिसेफ, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) जैसी वैश्विक संस्थाओं के बीच अधिक सक्रिय और गहन सहयोग की जरूरत है। जॉर्डन में ’’लॉरेट्स एंड लीडर्स ़फॉर चिल्ड्रन’’ शिखर बैठक-२०१८ की शुरुआत से पहले सत्यार्थी ने यह भी कहा कि आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) से जु़डे देश संसाधनों का अधिक योगदान दें ताकि सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से सबंधित शिक्षा के लक्ष्यों को वर्ष २०३० तक हासिल किया जा सके।उन्होंने विशेष बातचीत में कहा, ’’आईएलओ,यूनिसेफ, यूएनएचआरसी, आईएमओ (इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन) और ऐसी दूसरी संस्थाओं के बीच अधिक सक्रिय और गहन सहयोग होना चाहिए ताकि बाल तस्करी और इससे जु़डे गिरोहों से निपटा जा सके। हम लॉरेट्स एंड लीडर्स शिखर बैठक में इस पर जोर देंगे।‘ गौरतलब है कि सत्यार्थी द्वारा स्थापित लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन शिखर बैठक का आयोजन आगामी २६-२७ मार्च को जॉर्डन के डेड सी स्थित ’’किंग हुसैन बिन तलाल कन्वेंशन सेंटर’’ में हो रहा है। जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन के संरक्षण में हो रहे लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन शिखर बैठक में पनामा के राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वरेला रोड्रिग्वेज, केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, जॉर्डन के शाही परिवार के सदस्य अली बिन अल हुसैन, अमेरिका की मानवाधिकार कार्यकर्ता केरी केनेडी, सत्यार्थी और कई देशों के नेता एवं नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल होंगे। लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन की पहली शिखर बैठक दिसंबर, २०१६ में नयी दिल्ली में हुई थी जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया था।सत्यार्थी ने कहा, ’’बाल तस्करी के साथ ही बाल मजदूरी आज भी ब़डी समस्या बनी हुई है। बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए हमें बहुआयामी रूख अपनाने की जरूरत है। सख्त कानूनों के क्रियान्वयन से दुनिया भर में बाल म़जदूरों की संख्या को बहुत कम किया गया, लेकिन अब भी १५ करो़ड से ज्यादा बाल मजदूर हैं।’’ उन्होंने कहा, ’’अगली चुनौती यह है कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को उन वैश्विक कि़डयों से खुद को अलग करने के लिए मनाया जाए जो बाल मजदूरी को प्रोत्साहित करती हैं। यह काम चल रहा है। इसके साथ ही ऐसे कानून की जरूरत आ गई है जिससे कम्पनियों के उन अधिकारियों को दंडित किया जा सके जो बाल मजदूरी को ब़ढावा देने वाली वैश्विक कि़डयो से जु़डते हैं।’’ बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ’’ओईसीडी देशों को संसाधनों का अधिक योगदान का वादा करना चाहिए ताकि सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से सबंधित शिक्षा के लक्ष्यों को वर्ष २०३० तक हासिल किया जा सके।’’ सीरिया शरणार्थी संकट के बारे में सत्यर्थी ने कहा, ’’ हिंसा और गृहयुद्ध का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे हुए हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।‘

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