नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा पर बसावट के लिए संभावित ढांचों के साथ प्रयोग कर रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सुमन बालका के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, इसरो, अकादमिक संस्थानों के साथ चंद्रमा पर बसावट के लिहाज से संभावित ढांचों के साथ प्रयोग कर रहा है। अंतरिक्ष विभाग प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत आता है और लोकसभा में बुधवार को पीएमओ से जु़डे प्रश्न सूचीबद्ध होते हैं्।प्रश्न पूछा गया था कि क्या इसरो ने भविष्य के संभावित मिशनों के मकसद से चंद्रमा की सतह पर इग्लू जैसी बसावटों के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है और क्या चंद्रमा का इस्तेमाल अंटार्कटिका के मिशन की तरह करने पर विचार चल रहा है। इग्लू का इस्तेमाल सर्द जगहों पर लोगों को गर्मी में रहने की सुविधा देने के लिए होता है। सिंह ने कहा, बसावटों की जरूरतों और जटिलताओं के बारे में अनेक विकल्पों पर अध्ययन चल रहा है। अध्ययन मुख्य रूप से भविष्य के विकासक्रम पर अधिक केंद्रित है। इसरो ने अपना पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-१ वर्ष २००८ में प्रक्षेपित किया था। दूसरे मिशन चंद्रयान-२’’ में एक रोवर को चंद्रमा की सतह पर अभी तक नहीं खोजे गए दक्षिण ध्रुव पर उतारा जाना है। यह रोवर उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें भेजेगा जो चंद्रमा की बेहतर समझ हासिल करने में मददगार होंगी।
चंद्रमा पर बसावट के लिए प्रयोग कर रहा है इसरो
चंद्रमा पर बसावट के लिए प्रयोग कर रहा है इसरो