जब मुशर्रफ ने कहा- भारत बहुत भाग्यशाली है कि उसके पास कलाम जैसा राष्ट्रपति है

जब मुशर्रफ ने कहा- भारत बहुत भाग्यशाली है कि उसके पास कलाम जैसा राष्ट्रपति है

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

इस मुलाकात के लिए आधे घंटे का वक्त तय किया गया था। दूसरे दिन मुशर्रफ आए। कलाम ने उनका स्वागत किया। फिर बातचीत शुरू हुई तो मुशर्रफ कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए बहाना ढूंढ़ने लगे। तब कलाम ने बोलना शुरू किया …

नई दिल्ली। मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व के कई रूप थे। वे हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति, एक वैज्ञानिक, शिक्षक तथा युवाओं के प्रेरक भी थे। 15 अक्टूबर, 1931 को जन्मे डॉ. कलाम 27 जुलाई, 2015 को यह देह त्यागकर अमर हो गए। उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है। राष्ट्रपति पद पर रहते उनकी मुलाकात कई लोगों से हुई। एक बार पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति व फौजी तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ भी उनसे मिलने आए थे।

दरअसल मुशर्रफ 2005 में दिल्ली आए थे। यहां वे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मिले। कलाम साहब से भी मिलने के लिए उनका समय तय था। मुलाकात से एक दिन पहले डॉ. कलाम के सचिव पीके नायर ने उन्हें बताया कि कल जनरल मुशर्रफ आपसे मुलाकात करने आ रहे हैं। इस पर कलाम ने कहा, ‘हां, मुझे मालूम है। .. चूंकि मुशर्रफ एक चालाक तानाशाह रहे हैं, इसलिए पीके नायर ने कलाम को बताया कि वे कश्मीर का मुद्दा जरूर उठाएंगे, तो इसके लिए तैयार रहना चाहिए।

यह सुनकर डॉ. कलाम बोले, ‘उसकी चिंता न करें। मैं सब संभाल लूंगा।’ इस मुलाकात के लिए आधे घंटे का वक्त तय किया गया था। दूसरे दिन मुशर्रफ आए। कलाम ने उनका स्वागत किया। फिर बातचीत शुरू हुई तो मुशर्रफ कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए बहाना ढूंढ़ने लगे। तब कलाम ने बोलना शुरू किया, ‘राष्ट्रपतिजी, भारत के समान आपके देश में भी कई ग्रामीण क्षेत्र हैं। क्या आपको नहीं लगता कि हमें उनके विकास के लिए यथासंभव कुछ करना चाहिए?’

मुशर्रफ ने हां में जवाब दिया। फिर डॉ. कलाम ने एक शिक्षक की तरह समझाना शुरू किया। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको संक्षिप्त में पूरा के बारे में बताऊंगा। पूरा का मतलब होता है प्रोवाइंडिंग अर्बन फैसेलिटीज टू रूरल एरियाज। इसी दौरान कलाम के इशारे पर वहां लगी प्लाज्मा स्क्रीन पर जानकारी दी गई कि पाकिस्तान अपने ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों की बेहतरी किस प्रकार करे। मुशर्रफ उनके सामने बैठे किसी विद्यार्थी की तरह सुनते रहे।

आखिर में मुशर्रफ ने कहा, ‘धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय, भारत बहुत भाग्यशाली है कि उसके पास आप जैसा एक वैज्ञानिक राष्ट्रपति है।’ इसके बाद मुशर्रफ पाकिस्तान लौट गए। हालांकि उन्होंने कलाम की शिक्षा पर अमल नहीं किया। अगर किया होता तो उनका मुल्क यूं आतंकवाद से त्रस्त न होता।

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