एक ही टीचर के सहारे चल रहा पूरा स्कू ल, पेड़ के नीचे पढ़ रहे बच्चे

एक ही टीचर के सहारे चल रहा पूरा स्कू ल, पेड़ के नीचे पढ़ रहे बच्चे

जोधपुर/दक्षिण भारतसरकार भले ही शिक्षा में नवाचार और मॉडल स्कूल खोलकर गांव-गांव से ढाणी तक शिक्षा की अलख जगाने के दावे करती हो, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही हैं। जोधपुर शहर के जिले में आज भी ८३ प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जो भवन विहीन हैं। यानी इन स्कूलों में खुद का भवन नही हैं। कई तो ऐसे हैं जहां बच्चो को गर्मी, सर्दी और बारिश में भी खुले आसमान में पे़ड के नीचे बैठकर प़ढाई करनी प़डती हैं। ऐसी ही हालत है जोधपुर शहर के मंडोर पंचायत समिति के मोकलवास गांव के राजकीय प्रथमिक विद्यालय की। स्कूल के पास न कोई भवन है और न ही कोई और सुविधा। छात्र खुले आसमान में पे़ड के नीचे अपनी प़ढाई करने को मजबूर हैं। वहीं छात्रों को प़ढाने के लिए एक ही शिक्षक हैं जो पांचो कक्षाओं के बच्चों को एक साथ तालीम देते हैं।कौन से छात्र किस कक्षा के हैं यह कहना भी मुश्किल हो जाता हैं क्योंकि सभी एक साथ ही प़ढाई करते हैं। मुश्किल तो तब ब़ढ जाती हैं जब बारिश का मौसम हो या फिर सर्दी गर्मी, ऐसे में यह नन्हे मुन्ने खुले आसमान में पे़ड के नीचे प़ढने को मजबूर हैं। हालांकि आसपास के लोगों के सहयोग से पट्टियों से एक कामरानुमा ८ बाई ८ का कच्ची अस्थाई जगह बनायी गयी लेकिन इसमें भी बैठने जैसी कोई व्यवस्था नही हैं। जोधपुर शहर के जिले में सरकार के दावों के बावजूद भी स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर क्या है इसका अंदाजा इन आंक़डों से आसानी से लगाया जा सकता है। जोधपुर में करीब २७४४ प्राथमिक और उच्च प्राथमिक सरकारी विद्यालय है। जिसमें से ८३ स्कूल भवन विहीन हैं, यानी उनका खुद का भवन तक नहीं है। कई ऐसे स्कूल हैं जहां छात्रों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर प़ढाई करनी प़डती।यही नहीं जोधपुर शहर में ७२९ प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं जिनके भवनों की हालत जर्जर है। हालत ऐसी है कि ऐसे स्कूलों में छात्रों का बैठ कर प़ढाई करना खतरे से खाली नहीं है। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने पहले ही संबंधित स्कूल प्रधानाचार्य को इस बारे में निर्देशित कर दिया है कि ऐसे भवनों में छात्रों को नहीं बिठाया जाए और उनके बैठने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

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