इंदौर/भाषा। मेडिकल दस्तावेजों पर अबूझ लिखावट के कारण पैदा हो सकने वाली अप्रिय स्थिति से भावी डॉक्टरों को बचाने के लिए मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा के गलियारों में पहल की गई है। राज्य के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों को साफ अक्षरों में पर्चा लिखने के गुर सिखाने का बीड़ा उठाया है। संयोग से यह पहल ऐसे वक्त की जा रही है, जब उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अलग-अलग मामलों में खराब लिखावट को लेकर तीन डॉक्टरों पर हाल ही में 5,000-5,000 रुपए का जुर्माना लगाने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल है।
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रविशंकर शर्मा ने बताया, खासकर मरीजों के पर्चे पर कई डॉक्टरों की हस्तलिपि इसलिए खराब दिखाई देती है, क्योंकि वे बेहद हड़बड़ी में लिखते हैं। कुछ डॉक्टर तो इस मामले में इतनी जल्दी में होते हैं कि वे केवल 30 सेकंड में पर्चा लिख देते हैं। उन्होंने कहा, मेरा मेडिकल विद्यार्थियों को सुझाव है कि डॉक्टर बनने के बाद वे पर्चा लिखने में कम से कम तीन मिनट का समय लें। वे इस पर मरीज के लक्षण, बीमारी का ब्यौरा, सुझाई गई दवाओं के नाम आदि स्पष्ट अक्षरों में लिखें।
बहरहाल, खराब लिखावट को लेकर डॉक्टरों की आमफहम आलोचना से शर्मा कतई सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, सभी डॉक्टरों से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वे मरीजों के पर्चे पर मोतियों जैसे अक्षर उकेरेंगे। लेकिन इस पर्चे की इबारत पढ़ने लायक तो होनी ही चाहिए।
इस बीच, इंदौर का शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय नवाचारी योजना पर काम कर रहा है। महाविद्यालय की अधिष्ठाता (डीन) डॉ. ज्योति बिंदल ने बताया कि इस संस्थान के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों की लिखावट सुधारने के लिए उन्हें किसी विषय विशेषज्ञ से प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा, ताकि डॉक्टर बनने के बाद वे सुस्पष्ट तरीके से पर्चा लिख सकें। उन्होंने कहा, हम अपने विद्यार्थियों के बीच सुन्दर अक्षरों में पर्चा लिखने की प्रतियोगिता भी आयोजित करेंगे।
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