लखनऊ। कर्नाटक के टाइगर रिजर्व से इस साल मई में दुधवा नेशनल पार्क लाए गए हाथियों के समूह ने इतने दिनों में बड़ी सफलता हासिल की है। केवल कन्नड़ भाषा समझने वाले इन हाथियों ने हिंदी भाषा भी सीख ली है।
कर्नाटक में रहने के दौरान आराम की जिंदगी जी रहे इन हाथियों को दुधवा पार्क में मेहनत करनी पड़ रही है, जिसमें से पेट्रोलिंग प्रमुख कार्य है। इन हाथियों को हिंदी में क्रैश कोर्स करना पड़ा, जिससे कि वे दिशानिर्देशों का ठीक से पालन कर सकें। इन हाथियों में भी चार साल के पुंगा, तीन साल आठ महीने की पार्वती, ढाई साल की कावेरी अच्छे लर्नर साबित हुए।
इन हाथियों ने हिंदी भाषा पर कम समय में ही मजबूत कमांड बना ली। दुधवा में महावत इरशाद ने बताया, हमने हिंदी भाषा और कन्नड को एकसाथ ही बोलना शुरू किया। धीरे-धीरे हमने कन्नड़ में कमांड देना बंद कर दिया।
उन्होंने कहा, टीचिंग का कोई फॉर्मेट नहीं है। हम बेसिक कमांड से जु़ड़े रहते हैं। किसी हाथी को घूमने के लिए कन्नड में जहां ‘सरद’ बोला जाता था, तो वहीं हिंदी में इसके लिए ‘चेगम’ कहा जाता है।
पीछे हटने के लिए हिंदी में ‘हट पीछे’ तथा कन्नड़ में ‘धाक पीछे’ कहते हैं। ऐसे ही लेटने के लिए ‘टायर’ बोला जाता है। गौरतलब है कि कर्नाटक से 11 हाथियों को यूपी के दुधवा पार्क में लाया गया था। इन हाथियों को 5 सितंबर तक ट्रेनिंग देने के बाद अलग-अलग सैंक्चुअरी में भेज दिया जाएगा।
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