अब नहीं होगा जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा, शान से लहराएगा अपना तिरंगा

अब नहीं होगा जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा, शान से लहराएगा अपना तिरंगा

शान से लहराता तिरंगा

नई दिल्ली/भाषा। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के खत्म होने से अब उसका कोई अलग ध्वज या संविधान नहीं होगा और यह उसे ‘भारत संघ’ में ‘पूरी तरह से समाहित’ कर देगा, जैसा कि 1950 में अन्य देसी रियासतों को किया गया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

जम्मू-कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) विधानसभा का कार्यकाल अब अन्य राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली और पुड्डुचेरी की तरह ही पांच साल का होगा। अब तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता था।

आपराधिक मामलों से निपटने में रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की जगह अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) ले लेगा। साथ ही, किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबद्ध ‘अनुच्छेद- 356’ भी नए केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर लागू होगा।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा जम्मू-कश्मीर के लिए कोई अलग ध्वज नहीं होगा और तिरंगा झंडा ही समूचे देश के लिए एकमात्र राष्ट्रीय ध्वज होगा। जम्मू-कश्मीर के लिए कोई अलग संविधान नहीं होगा और नए बनाये जा रहे दोनों केंद्र शासित प्रदेशों का शासन भारत के संविधान से होगा।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के अपने कामकाज में नाकाम रहने के मामले में अब तक जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा-92 के तहत राज्यपाल शासन लगाया जाता था और फिर राष्ट्रपति शासन लागू कर उसमें विस्तार किया जाता था।

अनुच्छेद-370 को रद्द किए जाने पर अब वहां अनुच्छेद- 356 लागू किया जा सकेगा और जरूरत पड़ने पर सीधे राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकेगा। सरकार इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में जरूरत पड़ने पर अनुच्छेद-360 के तहत वित्तीय आपातकाल भी लागू कर सकती है।

अधिकारियों ने बताया कि अनुच्छेद-370 के रद्द होने से अनुच्छेद ‘35ए’ अपने आप ही अमान्य हो जाएगा। इस तरह भूमि, कारोबार और रोजगार पर वहां के बाशिंदों के विशेषाधिकार भी खत्म हो जाएंगे। साथ ही, अन्य राज्यों के लोग वहां प्रॉपर्टी खरीद सकेंगे तथा इन केंद्र शासित प्रदेशों में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून भी लागू होगा।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को सोमवार को समाप्त कर दिया और प्रस्ताव किया कि राज्य का विभाजन दो हिस्सों में किया जाएगा-जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश।

सूत्रों के मुताबिक सरकार का यह ताजा फैसला आखिरकार और पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर राज्य को भारत संघ में समाहित कर देगा। ठीक वैसे ही, जैसे कि 1950 में अन्य सभी देसी रियासतों और क्षेत्रों को किया गया था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, यह फैसला पहले के जम्मू-कश्मीर के किसी नागरिक को मिलने वाले सभी मूल अधिकारों को कायम रखेगा, जैसा कि भारत के किसी अन्य नागरिक के मामले में है।

यह फैसला किसी व्यक्ति को, देश के कानून के मुताबिक संचालित होने वाले किसी कारोबार को या गैर-सरकारी संगठन(एनजीओ) को जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख- दो नए केंद्र शासित प्रदेशों- में उन्हीं नियमों के तहत स्वतंत्र रूप से संचालित होने की इजाजत देगा।

सूत्रों ने बताया कि भारत के अन्य राज्यों में पढ़ाई एवं काम कर रहे कश्मीरी युवाओं की बड़ी आबादी को भारत के नागरिक के समान ‘शक्ति एवं आत्मविश्वास’ मिलेगा तथा उन्हें किसी विशेष नागरिक के तौर पर श्रेणीबद्ध नहीं किया जाएगा।

दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों में निजी एवं सार्वजनिक निवेश के प्रवाह की राह आसान होने से वहां अर्थव्यवस्था कहीं अधिक तेज गति से वृद्धि करेगी, उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों का विकास होगा और इन अल्प विकसित क्षेत्रों में पर्यटन के विकास के लिए भारी मात्रा में धन आएगा।

सूत्रों के मुताबिक अनुच्छेद-370 निरस्त किए जाने से अनुच्छेद 35ए (जो राज्य के स्थायी बाशिंदों को परिभाषित करता है), रद्द हो जाएगा और यह विधानसभा के साथ जम्मू-कश्मीर नाम का एक केंद्र शासित प्रदेश तथा बगैर विधानसभा के लद्दाख नामक केंद्र शासित क्षेत्र का सृजन करेगा।

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