.. राजीव शर्मा ..
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। याद है वो ज़माना जब बचपन में दादी, नानी हमें राजा, रानी और परियों की कहानियां सुनाया करती थीं! तब आज की तरह न टीवी चैनल थे, न इंटरनेट और न मोबाइल फोन। बच्चे उस कहानी लोक में इतने रम जाते थे कि सपने में भी वही पात्र दिखाई देते थे।
वे कोरी कहानियां नहीं थीं, उनमें एक संदेश भी होता था। आज टेक्नोलाॅजी के दौर में न वो कहानियां सुनाई देती हैं और न वो झिलमिल सपने ही आते हैं।
इस कमी को दूर करने के लिए बेंगलूरु निवासी सरला मिन्नी ने अनूठी पहली की है, जिसका नाम है ‘कहानी वाली नानी’। वेबसाइट और सोशल मीडिया के जरिए उनकी कहानियां जब देश-विदेश के बच्चों तक पहुंचती हैं तो वे इसे बड़े चाव से सुनते हैं।
उनकी वेबसाइट ‘कहानी वाली नानी’ का मूलमंत्र है- ‘कहानी हर बच्चे का अधिकार है’। इस तरह वे कहानियां सुनाकर अनेक बच्चों का बचपन संवार रही हैं। सरला मिन्नी ने मुंबई से पढ़ाई की। उन्होंने मोंटेसरी कोर्स किया और कुछ दिनों के लिए शिक्षण कार्य भी किया। वे मूलतः राजस्थान के बीकानेर से हैं।
मिल गया कहानियों का खजाना
सरला ने बचपन में कई रोचक एवं शिक्षाप्रद कहानियां सुनी थीं, लेकिन इंटरनेट के जरिए कहानियां सुनाने की शुरुआत की कहानी भी बहुत रोचक है। साल 2017 में सूरत निवासी उनकी भांजी पारुल रामपुरिया ने फोन पर कोई रोचक कहानी भेजने की फरमाइश की।
इसके बाद सरला मिन्नी ने कहानी रिकाॅर्ड की और वाॅट्सऐप के जरिए भेज दी। भांजी ने वह कहानी वाॅट्सऐप पर लोगों तक पहुंचाई तो इसे बहुत पसंद किया गया। कहानी सुनकर बड़ों को अपना बचपन आ गया, वहीं बच्चों को उस खजाने से रूबरू होने का मौका मिली जिससे वे अभी तक वंचित थे।
कब आएगी नई कहानी?
इस तरह कहानियां सुनाने को सिलसिला शुरू हुआ। अब देश-विदेश में बच्चों को बेसब्री से इंतजार होता है कि उनकी ‘नानी’ नई कहानी कब सुनाएंगी। इन कहानियों में रोचकता, मधुर कल्पना के साथ एकता, भाईचारा, सद्भाव, सच्चाई और मेहनत करने का संदेश होता है।
बचपन से जोड़ रही टेक्नोलाॅजी
‘नानी की कहानियां’ घर-घर तक पहुंचाने में टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल हो रहा है, जिसके बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि उसने लोगों को एक-दूसरे से दूर कर दिया। कोरोना काल में लाॅकडाउन के दौरान जब सभी घरों में थे और बाहर जाने पर पाबंदी थी।
ऐसे में बच्चों के लिए ‘नानी की कहानियां’ बहुत फायदेमंद साबित हुईं। इससे उन्हें स्वस्थ मनोरंजन मिला और सहज ढंग से शिक्षा भी। सरला मिन्नी की कहानियां टेलीग्राम पर खूब शेयर की जाती हैं। उनके बेटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, इसलिए तकनीकी जिम्मेदारी वे संभालते हैं। उनकी भांजी पारुल इस पहल में सहयोग देती हैं और वे इसकी सह-संस्थापक हैं।
हर बच्चे तक कहानी पहुंचाना मिशन
यूट्यूब चैनल, वाॅट्सऐप, टेलीग्राम ग्रुप के साथ उनकी वेबसाइट भी बहुत लोकप्रिय है। यहां बताया गया है कि कहानी वाली नानी हर बच्चे के लिए कहानियां उपलब्ध कराने के मिशन पर हैं। वे उन बच्चों के लिए कहानी कहने की कला को फिर से सृजित करना चाहती हैं, जो आज की दुनिया में स्क्रीन के आदी हैं। ये कहानियां बिना एनिमेशन के हैं ताकि बच्चे अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग कर सकें और कहानी को समझ सकें। ये ऑडियो प्रारूप में होती हैं।
भारतीय संस्कारों के साथ भविष्य के नागरिक
हर दिन करीब 10,000 से ज्यादा बच्चे ये कहानियां सुनते हैं। इनके लिए सरला मिन्नी कहानी रिकाॅर्ड करती हैं, फिर उसे चैनल पर अपलोड कर उन बच्चों तक पहुंचा दिया जाता है। सरला मिन्नी के प्रशंसकों का कहना है कि वे भारतीय संस्कारों के साथ भविष्य के बेहतर नागरिक तैयार कर रही हैं।
यहां सुनें टेलीग्राम पर सरला मिन्नी द्वारा हिन्दी और अंग्रेजी में कहानियां