चंडीगढ़/भाषा। द्वितीय विश्वयुद्ध के वयोवृद्ध सैनिक और तीनों सेनाओं (थल, जल और वायु) में अपनी सेवा देने का अनोखा कीर्तिमान स्थापित करने वाले कर्नल (अवकाश प्राप्त) पृथपाल सिंह गिल शुक्रवार को 100 साल के हो गए जिसके बाद विभिन्न वर्गों से उनको बधाई देने का तांता लगा हुआ है।
भारतीय सेना में अपनी सेवा देने के दौरान कर्नल गिल 34 मीडियम रेजीमेंट में रहे और बाद में पदोन्नति के साथ 71 मीडियम रेजीमेंट का नेतृत्व किया।
गिल के जन्मदिन के अवसर पर 71 मीडियम रेजीमेंट ने शुक्रवार को उनके जम्मू-कश्मीर के राजौरी स्थित आवास पर केक, ट्रॉफी, ट्रैकसूट और टीशर्ट भेजा। बता दें कि वर्ष 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान गिल 71 मीडियम रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे।
उनकी बहू हरप्रीत कौर ने शनिवार को फोन पर बताया कि गिल ने अपने तीन दशक के करियर में रॉयल इंडियन एयरफोर्स, रॉयल इंडियन नेवी और इंडियन आर्मी में सेवा देने का अनोखा कीर्तिमान बनाया है।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से गिल का जन्मदिन परिवार के सदस्यों और कुछ दोस्तों के साथ मनाया गया।
उल्लेखनीय है कि गिल के बेटे अजय पाल सिंह पेशे से डॉक्टर हैं जबकि पोता वकील है। कर्नल गिल की पत्नी परमिंदर कौर 93 वर्ष की हैं और इस महीने के आखिर में वे शादी की 70वीं सालगिरह मनाएंगे।
हरप्रीत कौर से पूछा गया कि कर्नल गिल ने कैसे अपना जन्मदिन मनाया तो उन्होंने बताया, ‘वे कल सुबह रेजीमेंट (71वीं) द्वारा भेजी गई ट्रॉफी, ट्रैक सूट और टी शर्ट के साथ बहुत खुश थे। वे ट्रॉफी के साथ तस्वीर खिंचवाते वक्त बहुत उत्साहित थे।
उन्होंने बताया, सेना के कई अधिकारियों ने उन्हें 100वें जन्मदिन की बधाई दी। सेना द्वारा केक, फूल और उपहार भेजे गए। यहां तक कि जिस बैंक में उनका पेंशन खाता है, वहां से भी उनकी तस्वीर को फ्रेम कर उपहार स्वरूप भेंट किया गया। बैंक के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं यह उपहार देने आए थे।
कौर ने बताया कि सेना के पूर्व अधिकारी रहे पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी उन्हें बधाई दी। बाद में मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके भी गिल को बधाई दी।
गौरतलब है कि कर्नल गिल ने लाहौर के गवर्मेंट कॉलेज से स्नातक किया और बाद में लाहौर के ही वाल्टन एयरोड्रम से विमान चालक का प्रशिक्षण प्राप्त किया और वर्ष 1942 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में भर्ती हुए।
कौर ने बताया कि गिल के पिता मेजर हरपाल सिंह गिल और परिवार के दबाव में उन्होंने वायुसेना छोड़ दी और बाद में नौसेना में भर्ती हो गए और आजादी के बाद वह भारतीय थल सेना में शामिल हुए।