स्वदेशी की शक्ति: चीनी माल पर भारी पड़ रही ‘मोदी राखी’

स्वदेशी की शक्ति: चीनी माल पर भारी पड़ रही ‘मोदी राखी’

प्रधानमंत्री के चित्रों से सुसज्जित विभिन्न राखियां

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। चीनी माल के बहिष्कार की मुहिम का असर दिखाई देने लगा है। सोशल मीडिया से शुरू हुई यह मुहिम अब बाजार से लेकर आम ग्राहकों तक पहुंच चुकी है जिससे चीन के खजाने पर जोरदार चोट पड़ रही है।

अगर रक्षाबंधन की ही बात करें महिलाएं इस बात का खास ध्यान रख रही हैं कि इस बार भाई की कलाई पर चीनी राखी नहीं बल्कि हिंदुस्तान में बनी शुद्ध स्वदेशी राखी ही शोभा पाए। सोशल मीडिया पर ऐसे चित्रों की भरमार है जिनमें देखा गया कि दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठानों पर पहले ही सूचना देने वाले बोर्ड लगा दिए कि यहां चीनी राखियां नहीं मिलतीं।

विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गलवान घाटी में चीनी विश्वासघात की घटना के बाद राखी के कारोबार पर भी इसका गहरा असर हुआ है। महिलाएं खुद ही दुकानदारों से कह रही हैं कि उन्हें चीनी राखी नहीं चाहिए। इसके बजाय स्वदेशी राखियों की मांग ज्यादा है।

इस बीच, भारतीय व्यापारियों के संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी ‘हिंदुस्तानी राखी’ का उपयोग करके देशभर में रक्षाबंधन मनाने का आह्वान किया है। वहीं, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के अनुरूप, सीएआईटी ने ‘मोदी राखी’ पेश की है जिसकी बाजार में काफी मांग है।

एल्यूमीनियम, तांबे और चांदी की शीट पर प्रधानमंत्री मोदी के चित्र को ‘मोदी राखियों’ पर उकेरा गया है, जो शुभ माने जाने वाले लाल धागे से बंधी हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री के चित्रों से सुसज्जित विभिन्न राखियां लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। ये ‘मोदी राखियां’ चीनी माल पर भारी पड़ रही हैं।

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