नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका सूचीबद्ध करने पर मंगलवार को सहमत हो गया। उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) से ‘'बृहत् बेंगलूरु महानगर पालिका' (बीबएमपी) के 198 वॉर्ड पर चुनाव कराने का निर्देश दिया था।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ को सूचित किया गया है कि नगर निकाय का पांच साल का कार्यकाल पिछले साल पूरा हो गया है और चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगी है, इसलिए तात्कालिकता है।
वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एसए बोबडे ने चार दिसंबर 2020 को उच्च न्यायालय के उस निर्णय पर रोक लगा दी थी जिसमें राज्य चुनाव आयोग को छह हफ्ते में चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद मौजूदा प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, मेरे कक्ष में फाइल भेजें। हम दोपहर एक बजे देखेंगे।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कर्नाटक नगर निगम तृतीय संशोधन अधिनियम (2020) में उल्लेखित 243 सीटों के बजाय, तीन सितंबर 2020 की परिसीमन अधिसूचना के तहत बीबीएमपी चुनाव कराने का निर्देश दिया था।
सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले ने लोगों के प्रतिनिधियों से बनी राज्य विधायिका की सर्वसम्मति को रद्द कर दिया जिसने बेंगलूरु में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 243 करने के लिए कर्नाटक नगर निगम अधिनियम 1976 में संशोधन किया था।
राज्य सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने भारत के सबसे बड़े महानगरीय शहरों में से एक में शहरी शासन में सुधार के प्रयासों को बाधित किया है। याचिका में कहा गया है कि वार्डों की संख्या में वृद्धि इसलिए जरूरी थी कि शहर की जनसंख्या और जनसांख्यिकी में 2009 के बाद से बड़े बदलाव हुए हैं जब वार्डों की संख्या 198 तक बढ़ा दी गई थी।
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