नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 'निर्बाध ऋण प्रवाह एवं आर्थिक वृद्धि के लिए सिनर्जी का निर्माण' विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि बैंकों को कारोबारों के फलने-फूलने में मदद के लिए अब एक भागीदारी मॉडल अपनाना होगा और कर्ज की 'मंजूरी देने वाले' की सोच से खुद को दूर करना होगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की विकास यात्रा का एक बिंदु होता है जब वह एक नई छलांग लगाने का संकल्प लेता है और फिर, पूरा देश नए, पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खुद को समर्पित कर देता है। 1942 और 1930 - दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन - दो ऐसे मोड़ थे जिन्होंने भारत को इस तरह की छलांग लगाने में मदद की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हमें आगे बढ़ते हुए एक और छलांग लगाने की जरूरत है। सरकार ने बीते छह-सात वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में जो रिफॉर्म किए, बैंकिंग सेक्टर का हर तरह से सपोर्ट किया, उस वजह से आज देश का बैंकिंग सेक्टर बहुत मजबूत स्थिति में है। आप भी ये महसूस करते हैं कि बैंकों की आर्थिक सेहत अब काफी सुधरी हुई स्थिति में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के पहले की जितनी भी परेशानियां थीं, चुनौतियां थीं हमने एक-एक करके उनके समाधान के रास्ते तलाशे हैं। हमने एनपीए की समस्या को एड्रेस किया, बैंकों को रीकैपिटलाइज किया, उनकी ताकत को बढ़ाया। हम आईबीसी जैसे रिफॉर्म लाए, अनेक कानूनों में सुधार किए, कर्ज वसूली ट्रिब्यूनल को सशक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में देश में एक डेडिकेटेड स्ट्रेस्ड एसेट मैनेजमेंट वर्टिकल का गठन भी किया गया। हमारी सरकार ने पिछली सरकार द्वारा बनाए गए खराब कर्ज से 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है। हमने अपनी बैंकिंग प्रणाली के कामकाज को बदल दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के बैंकों की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि वो देश की इकॉनॉमी को नई ऊर्जा देने में, एक बड़ा पुश देने में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। मैं इस फेज को भारत के बैंकिंग सेक्टर का एक बड़ा माइलस्टोन मानता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज समय की मांग है कि अब भारत के बैंक अपनी बैलेंस शीट के साथ देश की बैलेंस शीट को भी बढ़ाने के लिए प्रो-एक्टिव होकर काम करें। आपको कस्टमर की, कंपनी की, एमएसएमई की जरूरतों पर विश्लेषण करके उनके पास जाना होगा। उनके लिए कस्टमाइज सोल्यूशंस देने होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में बैंकों की शक्ति को पहचान कर मैंने उनको आह्वान किया कि मुझे जन-धन अकाउंट का बड़ा मूवमेंट खड़ा करना है, मुझे गरीब की झोपड़ी तक जाकर बैंक खाते खुलवाने हैं। जब देश के सामने एक लक्ष्य रखा कि हमें जन-धन खाते खोलना है, तो मैं आज गर्व के साथ सभी बैंकों का उल्लेख करना चाहूंगा, सभी बैंक कर्मचारियों का उल्लेख करना चाहूंगा, जिन्होंने इस सपने को साकार किया।
प्रधानमंत्री जन धन मिशन का बीज 2014 में बोया था, आज इस कठिन से कठिन कालखंड में दुनिया डगमगाई, लेकिन भारत का गरीब टिका रहा, क्योंकि उसके पास जन-धन खाते की ताकत थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब देश वित्तीय समावेशन पर इतनी मेहनत कर रहा है तब नागरिकों के उत्पादक क्षमता को अनलॉक करना बहुत जरूरी है। जैसे अभी बैंकिंग सेक्टर की ही एक रिसर्च में सामने आया है कि जिन राज्यों में जन-धन खाते जितने ज्यादा खुले हैं, वहां क्राइम रेट उतना ही कम हुआ है।
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