कोच्चि/भाषा। केरल उच्च न्यायालय ने 1994 में जासूसी के एक मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को गलत तरीके से फंसाने वाले पुलिस के एक पूर्व अधिकारी की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि नारायणन ने उनके खिलाफ दर्ज मामले में सीबीआई की जांच को प्रभावित किया था।
केरल पुलिस के पूर्व अधिकारी एस विजयन ने आरोप लगाया था कि नारायणन ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के तत्कालीन जांच अधिकारियों के साथ करोड़ों रुपए का भूमि सौदा कर एजेंसी की जांच को प्रभावित किया था।
न्यायमूर्ति आर नारायण पिशारदी ने विजयन की याचिका खारिज कर दी। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।
विजयन और केरल के 17 अन्य पूर्व पुलिस एंव आसूचना ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों के खिलाफ 1994 में नारायणन और कुछ अन्य को कथित तौर पर झूठे तरीके से फंसाने के आरोप में सीबीआई की जांच जारी है।
विजयन ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि उन्होंने निचली अदालत के समक्ष तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में कई एकड़ भूमि के ऋणभार प्रमाण-पत्र रखे थे जो नारायणन या उनके बेटे को पावर ऑफ अटॉर्नी के धारकों के रूप में दिखाते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया था कि ये जमीनें सीबीआई अधिकारियों को बेची गई और तर्क दिया कि यह सामग्री वैज्ञानिक और एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत निचली अदालत द्वारा जांच का आदेश देने के लिए पर्याप्त है।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा था कि ऋणभार प्रमाण पत्र भूमि की बिक्री को साबित नहीं करते हैं और विजयन को वास्तविक बिक्री विलेख दिखाने के लिए कहा।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि निचली अदालत को जांच का आदेश देने के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी की भी आवश्यकता होगी।
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