लंदन/द कन्वरसेशन। यूके के प्रधान मंत्री, बोरिस जॉनसन पर दबाव बढ़ने के कारण, उनकी पार्टी के सदस्य अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। क्या उन्हें जॉनसन को हटाना चाहिए या रखना चाहिए? जो लोग उन्हें पसंद करते हैं, उन्हें डर है कि देश में कोविड के कारण सख्त लॉकडाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में कथित सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन को जनता माफ नहीं करेगी।
उनका गुस्सा अगले चुनाव में कंजर्वेटिव को महंगा पड़ सकता है। जो लोग ऐसा करने से झिझक रहे हैं वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इस प्रकरण से पहले जॉनसन अपने आप में चुनावी सफलता की कहानी थे।
हम यूसीएल संविधान इकाई में यूके में लोकतंत्र के प्रति सार्वजनिक दृष्टिकोण का एक बड़ा अध्ययन कर रहे हैं जो मतदाताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण बातों पर नई रोशनी डालता है। पिछली गर्मियों में ब्रिटेन की आबादी के बड़े पैमाने पर किए गए सर्वेक्षण के हमारे ताजा निष्कर्ष बताते हैं कि कंजर्वेटिव सांसदों को इस प्रकरण के नतीजों के बारे में चिंतित होने का अधिकार है। मतदाताओं के लिए ईमानदारी बेहद जरूरी है। यह वास्तव में मतदाताओं के लिए एक राजनेता में अन्य सभी लक्षणों से ऊपर है।
जब हमने उन विशेषताओं के बारे में पूछा जो राजनेताओं में होनी चाहिए, तो ‘ईमानदार होना’ सबसे ऊपर आया। इसके बाद ‘गलती होने पर उसकी जिम्मेदारी लेना’, दूसरी विशेषता थी जो मतदाता अपने नेताओं में देखना चाहते थे। ‘काम करना’ और ‘प्रेरक होना’ बहुत पीछे थे।
जॉनसन के पास एक ट्रेडमार्क रणनीति है - जिसे प्राइम मिनिस्टर्स क्वेश्चंस कार्यक्रम में अकसर देखा गया है- वह यह कहकर अपने आलोचकों को चुप करा देते हैं कि उनका ध्यान लोगों की प्राथमिकताओं को पूरा करने पर केंद्रित है। किसी भी संभावित संदिग्ध व्यवहार या घटना के बारे में पूछे जाने पर वह जोर देकर कहते हैं, जनता के सदस्य किसी और चीज से ज्यादा ‘ब्रेक्सिट होने’ की अधिक परवाह करते हैं।
हालाँकि, हमारे निष्कर्ष इससे अलहदा सुझाव देते हैं। जब हमने उत्तरदाताओं से ‘कल्पना करने के लिए कहा कि उन्हें ईमानदारी से कार्य करने वाले और अधिकांश लोगों की इच्छाओं के अनुरूप नीतियां बनाने वाले लोगों में से प्रधानमंत्री का चयन करना है’, तो 71% ने ईमानदारी और केवल 16% ने नीतियों को चुना।
यहां यह बता देना जरूरी है कि ये निष्कर्ष गर्मियों के सर्वेक्षण के हैं - ओवेन पैटर्सन मामले और ‘पार्टीगेट’ से पहले। यह अल्पकालिक सुर्खियों से प्रभावित होकर राय कायम करने वाली प्रतिक्रियाएं नहीं हैं। अधिकांश मतदाता उम्मीद करते हैं कि राजनेता ईमानदारी से कार्य करें और नियमों का पालन करें।
शक्ति को सीमित करना सबसे ऊपर
हमारे निष्कर्षों से एक और कम स्पष्ट लेकिन समान रूप से महत्वपूर्ण पैटर्न उभरा। मतदाता नहीं चाहते कि सत्ता प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के हाथों में अनावश्यक रूप से केंद्रित हो। कई संसद के लिए कम से कम कुछ हद तक अधिक शक्तियों के पक्ष में हैं - 45% सोचते हैं कि सांसदों को यह तय करना चाहिए कि हाउस ऑफ कॉमन्स क्या बहस करे, जबकि 30% सोचते हैं कि प्रधान मंत्री या सरकार को ऐसा करना चाहिए।
और भी स्पष्ट रूप से, और शायद आश्चर्यजनक रूप से एक और तथ्य सामने आया, अधिकांश चाहते हैं कि न्यायाधीश मंत्रियों पर लगाम लगाएं। हमने उत्तरदाताओं से कहा, ‘कल्पना करें कि क्या सरकार के पास किसी विशेष मामले को अपने दम पर तय करने का कानूनी अधिकार है या क्या उसे संसद की मंजूरी की आवश्यकता है’, और यह विचार करने के लिए कि विवाद को कैसे सुलझाया जाना चाहिए। अधिकांश (51%) ने कहा कि इसे न्यायाधीशों द्वारा सुलझाया जाना चाहिए और केवल 27% ने संसद में सरकारी मंत्रियों या राजनेताओं को चुना। हमने यह भी पूछा कि क्या न्यायाधीशों को यह तय करने में भूमिका निभानी चाहिए कि क्या कोई नया कानून अधिकारों का उल्लंघन करता है। हमारे द्वारा पूछे गए अधिकारों के आधार पर, 65% से 77% के बीच उत्तरदाताओं ने कहा कि मानवाधिकार अधिनियम के तहत अदालतों के पास अपनी वर्तमान शक्तियां होनी चाहिएं या यहां तक कि सीधे कानूनों को रद्द करने के लिए उन्हें मजबूत शक्तियां दी जानी चाहिएं।
एक बड़े बहुमत ने यह भी कहा कि सिविल सेवकों को ‘तत्कालीन सरकार द्वारा नियुक्त’’ करने के बजाय ‘‘तटस्थ और स्थायी सरकारी कर्मचारी’ होना चाहिए। और अधिकांश उत्तरदाताओं का मानना था कि जिसने पहले कहा था कि बीबीसी को अपनी रिपोर्टिंग में तटस्थ होना चाहिए, वह बीबीसी प्रमुख के पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार हो सकता है, लेकिन जिसने कहा था कि बीबीसी को सरकार की कम आलोचना करनी चाहिए, वह इस पद का हकदार नहीं हो सकता।
इन उत्तरों से स्पष्ट प्रतीत होता है: अधिकांश लोग राजनेताओं पर भरोसा नहीं करते हैं, और वे ऐसे राजनेताओं पर भरोसा करते हैं, जो सत्ता के सबसे कम करीब हैं, इसलिए वह सत्ता में बैठे लोगों की शक्तियों को सीमित करने के हक में हैं।
हमारा अध्ययन न केवल सर्वेक्षणों के माध्यम से, बल्कि एक नागरिक सभा के माध्यम से भी लोकतंत्र के प्रति सार्वजनिक दृष्टिकोण की जांच कर रहा है, जो यह दर्शाता है कि लोग एक मुद्दे के बारे में जानने के बाद जैसा सोचते, उस मुद्दे के गहन विश्लेषण के बाद भी वैसा ही सोचते हैं या अपने विचार बदल लेते हैं। हम आने वाले समय में यूके में लोकतंत्र पर नागरिक सभा के पूर्ण परिणाम प्रकाशित करेंगे।
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