यह भारत के भविष्य निर्माण का बजट है: सीए सुनील शर्मा

इस बजट से आगामी विकास दर साढ़े आठ प्रतिशत तक रहने का अनुमान है


मुंबई/दक्षिण भारत। विप्र चैम्बर एवम कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (विक्की) के सलाहकार एवम पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट, अर्थशास्त्री एवं प्रसिद्ध सामाजिक संगठन विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय महामंत्री, सीए सुनील शर्मा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा मंगलवार को पेश किए गए वर्ष 2022-23 के केंद्रीय आम बजट का स्वागत करते हुए इसे भविष्य निर्माण का बजट बताया है। उनका मानना है कि इस बजट में जहां खेती को उन्नत बनाने, सोलार ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के विस्तार पर जोर दिया गया है वहीं क्रिप्टोकरेंसी, महंगाई व बेरोजगारी पर लगाम कसने के लिए भी पर्याप्त उपाय किए गए हैं। हालांकि मध्यमवर्ग की उम्मीद के विपरीत आयकर की स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

डॉ. शर्मा ने कहा कि वित्तमंत्री निर्मला ​सीतारमन ने कोरोनाकालजनित  वित्तीय चुनौतियों के बीच सूझबूझ से भरा बजट पेश किया है, हालांकि कुछ पहलू उपेक्षित भी हुए हैं। इस बजट से आगामी विकास दर साढ़े आठ प्रतिशत तक रहने का अनुमान है, जो निश्चित ही दुनिया की श्रेष्ठतम विकास दरों में से एक होगी। 

सीए सुनील शर्मा का मानना है कि वित्त मंत्री ने बजट में प्रोत्साहन की डोज देते हुए राजको​षीय घाटे को कम करने की बात भी कही है, जो कि सराहनीय है। दरअसल, राजकोषीय घाटे का संबंध महंगाई से होता है। यदि राजकोषीय घाटा कम हो तो महंगाई भी कम होती है और अगर राजकोषीय घाटा बढ़ता है तो वित्तीय अनिश्चितता बढ़ती है। नए बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटन थोड़ा बढ़ाया गया है और स्टार्टअप पर भी ध्यान दिया गया है। वैसे भी स्टार्टअप के मामले में हमारे देश का स्थान दुनिया में तीसरे नंबर पर है।

डॉक्टर शर्मा ने कहा कि नई पीढी को डिजिटल इंडिया से जोड़ने का कदम भी सराहनीय है। इससे नई पीढ़ी देश ही नहीं बल्कि ग्लोबली रोजगार के लिए स्कील्ड होगी। खास बात यह भी कि चीन से आयात को कम करने के उपाय भी इस बजट में किये गए हैं। आयातित कच्चा माल जो ज्यादातर चीन से आता है, उसे भारत में बनाने को प्रोत्साहित करने पर फोकस किया गया है।

डॉ. शर्मा के अनुसार बजट का कमजोर पक्ष यह है कि इस बार भी आयकर की स्लैब नहीं बढ़ाई गई, इससे मध्यमवर्ग एवं छोटे आयकर दाताओं को निराश होना पड़ा है। इस बजट से यह उम्मीद थी कि वित्तमंत्री इस स्लैब को 2.5 लाख से ऊपर बढ़ाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वित्तमंत्री ने स्वागत योग्य घोषणा की है कि आरबीआई की अपनी डिजिटल करेंसी होगी। इससे क्रिप्टो करेंसी में बिटकॉइन की मोनोपॉली खत्म होगी। आरबीआई की यह डिजिटल करेंसी ब्लॉक चेन सिस्टम पर आधारित होगी। ट्रांजेक्शन इस तरह होगा कि आरबीआई से छिपा नहीं रह सकेगा जिससे डिजिटल कर-चोरी पर लगाम लगेगी।

आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना के लिए 20,105 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, वहीं डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल शिक्षा पर जोर दिया गया है। डिजिटल क्लास रूम शैक्षणिक टीवी चैनलों की संख्या बढ़ाने से गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों को बहुत लाभ मिलेगा। लेकिन फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में इस बजट ने  कुछ निराश सा किया है। लेकिन कुल मिला कर यह भविष्योन्मुखी एवं उर्ध्वगामी प्रगतिपरक बजट है।

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