विजय माल्या के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई पर उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा?

शीर्ष न्यायालय ने 10 फरवरी को माल्या के खिलाफ अवमानना मामले पर सुनवाई के लिए बुधवार की तारीख तय की थी


नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने 9,000 करोड़ रुपए के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में आरोपी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की पेशी से संबंधित याचिका पर सुनवाई बृहस्पतिवार तक स्थगित कर दी। पेशी से जुड़ी यह याचिका अवमानना के मामले से संबद्ध है जिसमें उसे दोषी ठहराया गया है।

न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने बुधवार को अवमानना मामले पर सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को दोपहर दो बजे का समय दिया। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र जयदीप गुप्ता ने इस आधार पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था कि वह एक अन्य मामले में व्यस्त होंगे।

शीर्ष न्यायालय ने 10 फरवरी को माल्या के खिलाफ अवमानना मामले पर सुनवाई के लिए बुधवार की तारीख तय की थी और भगोड़े कारोबारी को उसके समक्ष निजी तौर पर या वकील के जरिए पेश होने का आखिरी मौका दिया था।

पीठ ने कहा था कि उसने माल्या को निजी तौर पर या किसी वकील के जरिए पेश होने के कई मौके दिए तथा 30 नवंबर 2021 के अपने आखिरी आदेश में विशेष दिशा निर्देश भी दिए थे।
न्याय मित्र गुप्ता ने कहा था कि अदालत ने माल्या को अदालत की अवमानना का दोषी पाया है और उसे सजा सुनायी जाएगी।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अवमानना मामलों में अदालत का अधिकार क्षेत्र निहित है और उसने माल्या को पर्याप्त मौके दिए हैं, जिसका उसने फायदा नहीं उठाया।

पिछले साल 30 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह और इंतजार नहीं कर सकती और माल्या के खिलाफ अवमानना मामले में सजा के पहलू पर अंतिम रूप से विचार करना होगा। माल्या को 2017 में अवमानना का दोषी ठहराया गया था और उसकी सजा पर सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया गया।।

गौरतलब है कि माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है। वह 18 अप्रैल 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा तीन साल पहले जारी प्रत्यर्पण वारंट में जमानत पर है।

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