प्रधानमंत्री ने जन औषधि केंद्र के मालिकों और लाभार्थियों से संवाद किया

'सरकार ने कैंसर, टीबी, डायबिटीज, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है'


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमार को जन औषधि दिवस के अवसर पर जन औषधि केंद्र के मालिकों के साथ ही ‘जेनरिक’ दवाइयां उपलब्ध कराने की योजना के लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाद किया और उनके अनुभव सुने।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयासों का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए, जो लोग इस अभियान में जुटे हैं, मैं उन सबका आभार व्यस्त करता हूं। आप में से कुछ साथियों को सम्मानित करने का सौभाग्य आज सरकार को मिला है। आप सभी को जन औषधि दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जन औषधि केंद्र तन को औषधि देते हैं, मन की चिंता को कम करने वाली भी औषधि हैं और धन को बचाकर जन-जन को राहत देने वाले केंद्र भी हैं। दवा का पर्चा हाथ में आने के बाद लोगों के मन में जो आशंका होती थी कि पता नहीं कितना पैसा दवा खरीदने में खर्च होगा, वो चिंता कम हुई है।

इस वित्तीय वर्ष में जन औषधि केंद्रों के जरिए 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवाएं बिकी हैं। इसी साल जन औषधि केंद्र के जरिए गरीब को, मध्यम वर्ग को करीब 5,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है। अब तक लोगों को करीब कुल 13,000 करोड़ रुपए की बचत हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने कैंसर, टीबी, डायबिटीज, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि स्टंट लगाने और नी इप्लांट की कीमत भी नियंत्रित रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है जिसका बड़ा लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को मिलेगा। हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के लिए 1 रुपए में सेनेटरी नेपकीन भी इन केंद्रों पर मिल रहे हैं। 21 करोड़ से ज्यादा सेनेटरी नेपकीन की बिक्री ये दिखाती है कि जन औषधि केंद्र कितनी बड़ी संख्या में महिलाओं का जीवन आसान कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में 8,500 से ज्यादा जन औषधि केंद्र खुले हैं। ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं, बल्कि सामान्य मानव के लिए समाधान केंद्र बन रहे हैं। भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को निरंतर मजबूत कर रही है। 

आजादी के इतने दशकों के बाद भी देश में केवल एक एम्स था, लेकिन आज देश में 22 एम्स हैं। हमारा लक्ष्य देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज खोलने का है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर आगे बढ़ रहे भारत में सबके जीवन को सम्मान मिले। मुझे विश्वास है कि हमारे जन औषधि केंद्र भी इसी संकल्प के साथ आगे भी समाज को ताकत देते रहेंगे।

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