नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आम बजट-2022 में रक्षा क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर लगातार बल दे रहा है और इस बार के आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों में से 70 प्रतिशत घरेलू उद्योगों के लिए रखा जाना सरकार की इसी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि बाद के वर्षों में हमारी ताकत कमजोर होती गई। बीते कुछ वर्षों से भारत अपने रक्षा क्षेत्र में जिस आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है, उसका कमिटमेंट आपको इस वर्ष के बजट में भी दिखेगा। गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी हमारी डिफेंस मैन्यूफेक्चरिंग की ताकत बहुत थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल के बजट में देश के भीतर ही रिसर्च, डिज़ाइन और डवलपमेंट से लेकर मैन्युफेक्चरिंग तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। रक्षा बजट में लगभग 70 प्रतिशत सिर्फ घरेलू इंडस्ट्री के लिए रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देश की सेनाओं की भी सराहना करूंगा कि वो भी डिफेंस सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता का महत्व समझते हुए बड़े निर्णय लेते हैं। जब हम बाहर से अस्त्र-शस्त्र लाते हैं, तो उसकी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि जब वो हमारे सुरक्षाबलों तक पहुंचते हैं, तब तक उसमें से कई आउटडेटेड हो चुके होते हैं। इसका समाधान भी 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' और 'मेक इन इंडिया' में ही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारी फौज के पास भारत में बने साजो-सामान होते हैं तो उनका आत्मविश्वास, उनका गर्व भी नई ऊंचाई पर पहुंचता है। इसमें हमें सीमा पर डटे जवानों की भावनाओं को भी समझना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में बनीं चीजों को लेकर सैनिकों में अलग स्वाभिमान होता है। इसलिए हमें हमारे रक्षा उपकरणों के लिए अपने सैनिकों की भावना का आदर करना चाहिए। यह हम तभी कर सकते हैं जब हम आत्मनिर्भर होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की जो आईटी की ताकत है, वो हमारा बहुत बड़ा सामर्थ्य है। इस ताकत को हम अपने रक्षा क्षेत्र में जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, उतनी ही सुरक्षा में हम आश्वस्त होंगे। जैसे— साइबर सिक्योरिटी अब सिर्फ डिजिटल वर्ल्ड तक सीमित नहीं रह गई है। यह राष्ट्र की सुरक्षा का विषय बन चुका है।
पहले के समय में बाहर की कंपनियों से जो सामान खरीदा जाता था उसमें अक्सर भांति-भांति के आरोप लगते थे। हर खरीद से विवाद पैदा होता था। अलग-अलग मैन्युफैक्चरर के बीच जो कंपीटिशन होता है, उससे भ्रष्टाचार के दरवाजे भी खुलते हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान से हमें इसके भी समाधान मिलते हैं।
जब पूरी निष्ठा के साथ संकल्प लेकर हम आगे बढ़ते हैं तो क्या परिणाम आते हैं, इसका एक बेहतरीन उदाहरण हमारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां हैं। पिछले साल हमने सात नई डिफेंस पब्लिक अंडरटेकिंग्स का निर्माण किया था। आज ये तेज़ी से बिजनेस का विस्तार कर रही हैं, नए मार्केट में पहुंच रही हैं। यह भी बहुत सुखद है कि बीते पांच-छह सालों में डिफेंस एक्सपोर्ट में हमने छह गुना वृद्धि की है। आज हम 75 से भी ज्यादा देशों को मेड इन इंडिया डिफेंस उपकरण और सर्विस दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया को सरकार के प्रोत्साहन का परिणाम है कि पिछले 7 सालों में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए 350 से भी अधिक, नए इंडस्ट्रियल लाइसेंस इश्यू किए जा चुके हैं। जबकि 2001 से 2014 के 14 वर्षों में सिर्फ 200 लाइसेंस जारी हुए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रायल, टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की व्यवस्था का ट्रांसपैरेंट, टाइम-बाउंड, प्रैगमैटिक और निष्पक्ष होना एक वाइब्रेंट डिफेंस इंडस्ट्री के विकास के लिए ज़रूरी है। इसके लिए एक इंडिपेंडेंट सिस्टम समस्याओं को दूर करने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह देशभक्ति का काम है, यह देश सेवा का काम है। मुनाफे के बारे में बाद में सोचिए, देश को ताकतवर कैसे बनाया जाए, पहले इसे सोचिए। आज हमारी सेना के तीनों अंग बड़ी उमंग और उत्साह के साथ इस काम के लिए प्रोत्साहन दे रहे हैं।
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