मुल्लापेरियार बांध मामला: तमिलनाडु ने कहा- बातचीत जारी, उच्चतम न्यायालय 31 मार्च को सुनवाई करेगा

शीर्ष अदालत मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही है


नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मुल्लापेरियार बांध मामले पर 31 मार्च को सुनवाई करेगा। इससे पहले, तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि इस मुद्दे पर ‘बातचीत’ जारी है।

तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ से मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को करने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा, ‘हम इसकी जटिलताओं को समझते हैं। हम इसके लिए समय दे सकते हैं।’

शीर्ष अदालत मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुन रही है। इस बांध को 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था।

शुरुआत में तमिलनाडु की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई की जाए। उन्होंने कहा, ‘हमने कुछ बातचीत की है और यह जारी है।’

केरल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि तमिलनाडु से उन्हें कुछ मिला है और उस पर वे काम कर रहे हैं। गुप्ता ने कहा, ‘उन्होंने हमें कुछ दिया है। हम इस पर काम कर रहे हैं, जिसके बाद हम उन्हें सौंपेंगे। जितना हमने सोचा था इसमें उससे थोड़ा अधिक समय लगेगा।’

इस पर पीठ ने कहा, ‘कोई बात नहीं’ और मामले में सुनवाई के लिए 31 मार्च की तारीख तय की। शीर्ष अदालत ने 24 मार्च को तमिलनाडु और केरल को सुझाव दिया था कि 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध की संरचनात्मक सुरक्षा के मुद्दों को पर्यवेक्षी समिति द्वारा निपटाया जा सकता है। बांध की संरचनात्मक सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि केरल ने, जो मुद्दा उठाया है कि मौजूदा बांध के निचले इलाकों में एक नया बांध स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए, इसका पर्यवेक्षी समिति द्वारा बहस, चर्चा के बाद समाधान किया जा सकता है जो मामले पर अपनी सिफारिश कर सकती है।

पीठ ने कहा कि एक ‘समग्र दृष्टिकोण’ अपनाया जाना चाहिए और प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक व्यापक कदम उठाया जाना चाहिए। तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ से कहा था कि वह इस मुद्दे पर निर्देश लेंगे क्योंकि ये संवेदनशील मामले हैं। उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु ‘बांध को बनाए रखने’ में रुचि रखता है।

पीठ ने कहा था कि यह मुद्दा दोनों राज्यों को प्रभावित कर रहा है और वे एक तंत्र तैयार कर सकते हैं ताकि दोनों पक्षों के हितों की रक्षा हो और कोई एक दूसरे को दोष न दे।

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