सिंगापुर/भाषा। सिंगापुर में सिखों ने बैसाखी का पर्व देश और दक्षिण पूर्व एशिया में सिखों पर अध्ययन के लिए प्रोफेसर पद की स्थापना के साथ मनाया। इस पहल का मकसद सामुदायिक नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं की संख्या बढ़ाना है।
सेंट्रल सिख गुरुद्वारा बोर्ड (सीएसजीबी) ने बृहस्पतिवार को सिखों पर अध्ययन के लिए एक विजिटिंग प्रोफेसर के पद की स्थापना के संबंध में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए। इसका मकसद सिंगापुर और विदेशों में सिखों पर अध्ययन के लिए अकादमिक छात्रवृत्ति को बढ़ावा देना है।
यह सिंगापुर और दक्षिण पूर्व एशिया में सिखों पर अध्ययन के लिए स्थापित होने वाला पहला प्रोफेसर पद है। सीएसजीबी ने कहा कि वह विजिटिंग प्रोफेसर के पद की बंदोबस्ती निधि के लिए 12 लाख सिंगापुरी डॉलर जुटाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। सरकार द्वारा दान में मिली डॉलर-दर-डॉलर राशि का मिलान किया जाएगा।
वरिष्ठ रक्षा राज्य मंत्री हेंग ची हाउ सिख समुदाय द्वारा आयोजित बैसाखी समारोह में शामिल हुए और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के गवाह बने।
‘फ्राइडे वीकली तबला’ के मुताबिक, इस पहल के तहत ‘एनकौर कार्य समिति’ उन कारकों पर अध्ययन करेगी, जिनकी वजह से सिंगापुर में महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका के अलावा सिख संगठनों और कार्यक्रमों में बड़ी भागीदारी नहीं मिल सकी है। ‘एनकौर कार्य समिति’ अलग-अलग पृष्ठभूमि की 21 सिख महिलाओं का एक पैनल है।
सिख सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष एवं एनकौर अनुसंधान के प्रवर्तक मलमिंदरजीत सिंह ने कहा, “ऐतिहासिक रूप से खालसा के निर्माण के प्रतीक बैसाखी पर्व को मनाने का मकसद एक ऐसे समान समाज की स्थापना करना था, जो जाति, पंथ, वर्ग या लिंग के बंधन से परे हो।”
उन्होंने कहा, सिख सलाहकार बोर्ड इस साल बैसाखी के मौके पर एनकौर पहल शुरू करके बेहद खुश है, ताकि सिख महिलाओं को सिंगापुर में नेतृत्व की भूमिका निभाने के ज्यादा मौके मिल सकें।