औरंगजेब की आततायी सोच के सामने गुरु तेग बहादुर चट्टान बनकर खड़े थे: मोदी

प्रधानमंत्री ने सिक्ख धर्म के सभी 10 गुरुओं को नमन किया


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुरु तेग बहादुरजी महाराज के 400वें प्रकाश पर्व के अवसर पर लाल किले में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर सबद कीर्तन सुना और संबोधित भी किया। इस दौरान उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब का जिक्र कर मजहबी कट्टरता पर निशाना साधा और गुरु तेग बहादुर को नमन किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आयोजन में सबका स्वागत करते हुए कहा कि अभी सबद कीर्तन सुनकर जो शांति मिली, वह शब्दों में अभिव्यक्त करना मुश्किल है। उन्होंने गुरु को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के का विमोचन कर इसे अपना सौभाग्य बताया। उन्होंने कहा कि मैं इसे हमारे गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले 2019 में हमें गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोबिंद सिंहजी का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का भी अवसर मिला था। मुझे खुशी है कि आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पुण्य अवसर पर सभी 10 गुरुओं के चरणों में नमन करता हूं। आप सभी को, सभी देशवासियों को और पूरी दुनिया में गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई देता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में भारत के कितने ही सपनों की गूंज यहां से प्रतिध्वनित हुई है। इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान लाल किले पर हो रहा यह आयोजन बहुत विशेष हो गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है। इस किले ने गुरु तेग बहादुरजी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सैकड़ों काल की गुलामी से मुक्ति को, भारत की आजादी को, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा से अलग करके नहीं देखा जा सकता। इसलिए आज देश आजादी के अमृत महोत्सव को और गुरु तेग बहादुर साहब के 400वें प्रकाश पर्व को एक साथ मना रहा है।

गुरु तेग बहादुरजी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहब भी है। यह पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुरजी का बलिदान कितना बड़ा था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुरजी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु नानकदेवजी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। गुरु तेग बहादुरजी के अनुयायी हर तरफ हुए। पटना में पटना साहिब और दिल्ली में रकाबगंज साहिब, हमें हर जगह गुरुओं के ज्ञान और आशीर्वाद के रूप में ‘एक भारत’ के दर्शन होते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष ही हमारी सरकार ने साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए भी हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री गुरुग्रंथ साहिबजी हमारे लिए आत्मकल्याण के पथप्रदर्शक के साथ-साथ भारत की विविधता और एकता का जीवंत स्वरूप भी हैं। इसलिए, जब अफग़ानिस्तान में संकट पैदा होता है, हमारे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को लाने का प्रश्न खड़ा होता है, तो भारत सरकार पूरी ताकत लगा देती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा नहीं पैदा किया। आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति लक्ष्य का सामने रखते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई सोच, सतत परिश्रम और शत-प्रतिशत समर्पण, ये आज भी हमारे सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ऐसा भारत बनाना है, जिसका सामर्थ्य दुनिया देखे, जो दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाए। देश का विकास और तेज प्रगति हम सबका कर्तव्य है। इसके लिए सबके प्रयास की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर पर पहुंचेगा। जब हम आजादी के 100 साल मनाएंगे, तो एक नया भारत हमारे सामने होगा।

बता दें कि औरंगजेब ने 1675 में लाल किले से ही गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश जारी किया था।

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