बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 साल से अधिक पुराने वाहनों पर शुल्क और जुर्माना बढ़ाने संबंधी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक अधिसूचना पर रोक लगा दी है। यह बढ़ा हुआ शुल्क इस साल एक अप्रैल से लागू हुआ था। मंत्रालय ने पिछले साल चार अक्टूबर को अधिसूचना जारी की थी।
उच्च न्यायालय ने 2017 में भी केंद्र सरकार द्वारा जारी ऐसी ही एक अधिसूचना रद्द कर दी थी। अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा है कि इस अदालत ने डब्ल्यूपी संख्या 10499/2017 में प्रतिवादी संख्या एक/ केंद्र द्वारा जारी ऐसी ही अधिसूचना रद्द कर दी है।’ उच्च न्यायालय ने नयी अधिसूचना के संबंध में प्रतिवादियों को एक आपात नोटिस जारी किया है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हेमंत चंदनगौदर की अवकाशकालीन पीठ ने चार अक्टूबर, 2021 की अधिसूचना पर ‘सुनवाई की अगली तारीख तक’ रोक लगा दी है। प्रतिवादियों को नोटिस मिलने के बाद इस मामले पर अगली सुनवाई होगी।
‘द फेडरेशन ऑफ कर्नाटक लॉरी ऑनर्स एसोसिएशन’ ने मंत्रालय की ताजा अधिसूचना के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था। अधिसूचना के अनुसार, 15 साल से अधिक पुरानी कारों के पंजीकरण के नवीनीकरण का शुल्क 600 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए कर दिया गया है और मोटरसाइकिल का शुल्क बढ़ाकर 300 रुपए से 1,000 रुपए कर दिया गया है।
वहीं, 15 साल से अधिक पुरानी बसों और ट्रकों के लिए फिटनेस नवीनीकरण प्रमाण पत्र का शुल्क 1,500 रुपए से बढ़ाकर 12,500 रुपए कर दिया गया है। फिटनेस नवीनीकरण वाणिज्यिक वाहनों के लिए प्रत्येक वर्ष अनिवार्य कर दिया गया है। प्रमाणपत्र के लिए आवेदन देने में देरी पर वाणिज्यिक वाहनों के लिए हर महीने 500 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा और प्रमाणपत्र की अवधि समाप्त होने के बाद देरी पर हर दिन 50 रुपए का जुर्माना लगेगा।