आतंक के वित्त पोषण मामले में अदालत ने यासीन मलिक को दोषी ठहराया

इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16, 17, 18 और धारा 20 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 124-ए शामिल हैं


नई दिल्ली/भाषा। दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में सख्त गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोप समेत सभी आरोपों को स्वीकार करने वाले कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को बृहस्पतिवार को दोषी ठहराया।

विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने एनआईए प्राधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए और सजा पर दलीलों के लिए मामले की सुनवाई के वास्ते 25 मई की तारीख तय की।

मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करते। इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं।

अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप औपचारिक रूप से तय किए थे।

लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में घोषित अपराधी बताया गया है।

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