नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों के समक्ष विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के नौजवानों से एक सवाल पूछना चाहता हूं और सवाल बहुत गंभीर है। लेकिन मेरे नौजवान साथियो, हमारे देश में एक बार ऐसा हुआ था। ये बरसों पहले 1975 की बात है। जून का वही समय था जब 'आपातकाल' लागू किया गया था।
उस समय भारत के लोकतंत्र को कुचल देने का प्रयास किया गया था। देश की अदालतें, हर संवैधानिक संस्था, प्रेस, सब पर नियंत्रण लगा दिया गया था। सेंसरशिप की यह हालत थी कि बिना स्वीकृति कुछ भी छापा नहीं जा सकता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीके से ही 'आपातकाल' को हटाकर, वापस, लोकतंत्र की स्थापना की। तानाशाही की मानसिकता को, तानाशाही वृत्ति-प्रवृत्ति को लोकतांत्रिक तरीके से पराजित करने का ऐसा उदाहरण पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारा भारत जब इतने सारे क्षेत्रों में सफलता का आकाश छू रहा है, तो आकाश, या अन्तरिक्ष, इससे अछूता कैसे रह सकता है! बीते कुछ समय में हमारे देश में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े कई बड़े काम हुए हैं। देश की इन्हीं उपलब्धियों में से एक है इन-स्पेस नाम की एजेंसी का निर्माण।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले जब मैं इन-स्पेस के मुख्यालय के लोकार्पण के लिए गया था, तो मैंने कई युवा स्टार्टअप के आइडिया और उत्साह को देखा। आज से कुछ साल पहले तक हमारे देश में अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप्स के बारे में कोई सोचता तक नहीं था। आज इनकी संख्या 100 से भी ज्यादा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चेन्नई और हैदराबाद के दो स्टार्टअप हैं- अग्निकुल और स्काईरूट। ये स्टार्टअप ऐसे लॉन्च व्हीकल विकसित कर रहे हैं जो अन्तरिक्ष में छोटे पेलोड लेकर जाएंगे। इससे स्पेस लॉन्चिंग की कीमत बहुत कम होने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह, बेंगलूरु के एक अंतरिक्ष स्टार्टअप एस्ट्रॉम की फाउंडर नेहा भी एक कमाल के आइडिया पर काम कर रही हैं। यह स्टार्टअप ऐसे फ्लैट एंटीनाबना रहा है जो न केवल छोटे होंगे, बल्कि उनकी कीमत भी काफी कम होगी। इस टेक्नोलॉजी की मांग पूरी दुनिया में हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन-स्पेस के कार्यक्रम में, मैं मेहसाणा की स्कूल छात्रा बेटी तन्वी पटेल से भी मिला था। वो एक बहुत ही छोटे सैटेलाइट पर काम कर रही है, जो अगले कुछ महीनों में अंतरिक्ष में लॉन्च होने जा रहा है।
बीते दिनों, हमारे ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा फिर से सुर्ख़ियों में छाए रहे। फिनलैंड में नीरज ने पावो नूरमी गेम्स में सिल्वर जीता। यही नहीं, उन्होंने अपने ही भाला फेंक के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। हाल में आयोजित हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी हमारे खिलाड़ियों ने कई रिकॉर्ड बनाए। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में इस बार भी कई ऐसी प्रतिभाएं उभरकर सामने आई हैं, जो बहुत साधारण परिवारों से हैं। इन खिलाड़ियों ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज भारत की सर्वाधिक प्रतिभाशाली क्रिकेटरों में से एक मिताली राज की भी चर्चा करना चाहूंगा। उन्होंने, इसी महीने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है, जिसने कई खेल प्रेमियों को भावुक कर दिया है। मैं, मिताली को उनके भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मन की बात' में वेस्ट टू वेल्थ से जुड़े सफल प्रयासों की चर्चा करते रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है, मिजोरम की राजधानी आइजवाल का। नदी को बचाने के लिए काम कर रही संस्था ने, इसी पॉलिथिन से सड़क बनाने का फैसला लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुड्डुचेरी के कराईकल में हजारों किलो कचरा हर दिन एकत्र किया जाता है, और उसे अलग किया जाता है। इसमें जो ऑर्गेनिक कचरा होता है, उससे खाद बनाई जाती है। बाकी दूसरी चीजों को अलग करके, रीसायकल कर लिया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में एक अनोखी साइकिल रैली भी चल रही है। स्वच्छता का सन्देश लेकर साइकिल सवारों का एक समूह शिमला से मंडी तक निकला है। पहाड़ी रास्तों पर करीब पौने दो सौ किलोमीटर की यह दूरी, ये लोग, साइकिल चलाते हुए ही पूरी करेंगे। इस समूह में बच्चे और बुज़ुर्ग भी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे उपनिषदों का एक जीवन मंत्र है- 'चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति.., इसका अर्थ है- चलते रहो, चलते रहो। एक समाज के रूप में, हम हमेशा, नए विचारों, नए बदलावों को स्वीकार करके आगे बढ़ते आए हैं। इसके पीछे हमारे सांस्कृतिक गतिशीलता और यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान है।
एक जुलाई से भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध यात्रा शुरू होने जा रही है। ओडिशा में, पुरी की यात्रा से तो हर देशवासी परिचित है, लोगों का प्रयास रहता है कि इस अवसर पर पुरी जाने का सौभाग्य मिले। दूसरे राज्यों में भी जगन्नाथ यात्रा खूब धूमधाम से निकाली जाती हैं।
हमारे ग्रंथों में ‘आषाढस्य द्वितीयदिवसे ... रथयात्रा’, इस तरह संस्कृत श्लोकों में वर्णन मिलता है। गुजरात के अहमदाबाद में भी हर वर्ष आषाढ़ द्वितीया से रथयात्रा चलती है। मैं गुजरात में था, तो मुझे भी हर वर्ष इस यात्रा में सेवा का सौभाग्य मिलता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे लिए इसलिए भी ये दिन बहुत खास है- मुझे याद है, आषाढ़ द्वितीया से एक दिन पहले, यानी, आषाढ़ की पहली तिथि को हमने गुजरात में एक संस्कृत उत्सव की शुरुआत की थी, जिसमें संस्कृत भाषा में गीत-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।