पुणे/भाषा। महाराष्ट्र के सातारा जिले से शिवसेना के बागी विधायक महेश शिंदे ने शनिवार को आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ महा विकास आघाडी (एमवीए) के तीन घटकों में से एक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने उनकी पार्टी को धोखा दिया और उन्होंने तथा अन्य ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समक्ष उठाया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
कोरेगांव सीट से विधायक महेश शिंदे वर्तमान में एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी में हैं, जो 21 जून से ठाकरे के खिलाफ बगावत का नेतृत्व कर रहे हैं। एकनाथ शिंदे खेमे की मुख्य मांग यह है कि शिवसेना एमवीए से हट जाए, जिसमें राकांपा और कांग्रेस भी शामिल हैं।
महेश शिंदे ने एक रिकॉर्डेड संदेश में उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर विकास निधि आवंटन में शिवसेना विधायकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। महेश ने संदेश में कहा, ‘‘कुछ अधिकारियों की उपस्थिति में वर्षा बंगले में मुख्यमंत्री के साथ बैठक के दौरान हमने अपने निर्वाचन क्षेत्रों को आवंटित धन के बारे में विवरण मांगा। अधिकारियों ने कोष के बारे में गलत जानकारी दी। जब हमने उन्हें असली आंकड़ों के बारे में बताया तो मुख्यमंत्री हैरान रह गए।’’
महेश शिंदे ने आरोप लगाया, ‘मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि उन्होंने और राकांपा नेताओं ने पार्टी को धोखा दिया है। लेकिन इसके बावजूद बाद में कोई बदलाव नहीं दिखा। शिवसेना के विधायकों को जहां उनके निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 50 से 55 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई, वहीं राकांपा के विधायकों को 700 करोड़ रुपये से 800 करोड़ रुपये मिले।’
शिंदे ने कहा कि राकांपा विधायकों, जिन्हें पहले शिवसेना नेताओं ने हराया था, को अधिक धन दिया गया और उद्धव के नेतृत्व वाली पार्टी के कई विधायकों को आधिकारिक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। शिंदे ने दावा किया, ‘हमने मुख्यमंत्री के साथ तीन बैठकें कीं, जिन्होंने हमें आश्वासन दिया कि (धन के आवंटन में) सुधार होगा। उन्होंने कई चीजों पर रोक लगा दी थी लेकिन उपमुख्यमंत्री ने इस तरह के आदेशों को स्वीकार नहीं किया। इसके विपरीत मुख्यमंत्री के रोक के आदेश को कूड़ेदान में फेंक दिया गया और हमारे प्रतिद्वंद्वियों के विकास कार्यों को प्राथमिकता दी गई।’
शिंदे ने कहा कि राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल शिवसेना के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करते और खुले तौर पर दावा करते थे कि क्षेत्र का भावी विधायक उनकी पार्टी का होगा न कि शिवसेना का।
शिंदे ने कहा, ‘हम ऐसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री को अवगत करा रहे थे और उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि ये चीजें नहीं होंगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ऐसे में हमारे लिए काम करना मुश्किल हो गया था। राकांपा एमवीए के एकजुट रहने की बात करते हुए असल में शिवसेना की पीठ में चाकू घोंप रही थी।’ कोरेगांव के विधायक ने कहा कि राकांपा की भूमिका पर आक्रोश के कारण असंतुष्ट विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एकत्र हुए।