लखनऊ/भाषा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की। मुर्मू का देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है।
बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में कहा, ‘राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में बसपा अपना फैसला लेने के लिए आजाद है। पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने आंदोलन का खास हिस्सा मानते हुए द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का निर्णय लिया है।’
उन्होंने कहा, ‘हमारा यह फैसला न तो भाजपा या राजग के समर्थन में है और न ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के खिलाफ है। हमने अपनी पार्टी और आंदोलन को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है।’
मायावती ने कहा, बसपा ने आदिवासी समाज की एक योग्य एवं कर्मठ महिला को देश की अगली राष्ट्रपति के रूप में देखने के लिए मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है। हालांकि, वह बिना किसी दबाव के काम कर पाएंगी या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा, अगर कोई विरोधी पार्टी या उसके नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों के हित में उचित फैसला लेती है तो बसपा बिना किसी हिचक, दबाव या डर के उसका भी समर्थन करती है। फिर चाहे इसके लिए पार्टी को भारी नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के समय बसपा को परामर्श से दूर रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष ने विपक्षी दलों की आलोचना भी की। उन्होंने जोर देकर कहा कि बसपा राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा 15 जून और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार द्वारा 21 जून को बुलाई गई बैठक में बसपा को न आमंत्रित किए जाने का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा, राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा जहां सर्वसम्मति से राजग प्रत्याशी तय करने का दिखावा करती रही, वहीं विपक्षी दल संयुक्त उम्मीदवार चुनने के मामले में मनमानी दिखाते आए।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने बसपा को राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया से अलग-थलग रखा, जो उनकी जातिवादी मानसिकता नहीं तो और क्या है, जबकि बसपा जनहित के मामले में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का सहयोग करती आई है।
बसपा प्रमुख ने कहा, ऐसे में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी एकता का प्रयास लोगों को गंभीर नहीं, केवल दिखावा लगता है, जिसका अंजाम भी सभी को मालूम है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को मिली करारी हार की टीस बयां करते हुए मायावती ने कहा, “विरोधी दलों ने बसपा के भाजपा की बी टीम होने का दुष्प्रचार फैलाकर विधानसभा चुनाव में पार्टी का काफी नुकसान किया। इन पार्टियों ने एक विशेष समुदाय को सपा के पक्ष में लाने के लिए बसपा के खिलाफ गुमराह किया, लेकिन अंत में समाजवादी पार्टी (सपा) चुनाव नहीं जीत सकी और भाजपा प्रदेश में एक बार फिर सरकार बनाने में सफल रही।”
उन्होंने कहा कि बसपा राजग या संप्रग के किसी भी घटक दल की पिछलग्गू पार्टी नहीं है और न ही दूसरे दलों की तरह पूंजीपतियों की गुलामी करती है।
मायावती ने कहा कि बसपा स्पष्ट तौर पर देश के गरीबों, मजदूरों, बेरोजगारों, दलितों, आदिवासियों और अन्य उपेक्षित वर्गों के हितों में स्वतंत्र एवं निडर फैसले लेने वाली पार्टी है।
विरोधी दलों पर जातिवादी सोच रखने का आरोप लगाते हुए बसपा प्रमुख ने कहा, जातिवादी सोच रखने वाले लोग बसपा को नीचा दिखाने और उसके नेतृत्व को बदनाम करने का एक भी मौका नहीं चूकते हैं।
उन्होंने दावा किया कि इनमें से खासकर जो पार्टियां केंद्र और राज्य की सत्ता में होती हैं, वे तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर बसपा के आंदोलन को लगातार कमजोर करने के प्रयास में जुटी रहती हैं।
मायावती ने आरोप लगाया कि खासकर कांग्रेस और भाजपा जैसी विरोधी पार्टियां रत्ती भर भी नहीं चाहती हैं कि बाबा साहब भीम राव आंबेडकर का मानवतावादी संविधान उनकी वास्तविक मंशा के हिसाब से देश में लागू हो।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बसपा के एक विधानसभा और 10 लोकसभा सदस्य हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करेंगे।
सत्तारूढ़ राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
वहीं, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा समेत विभिन्न विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले हैं।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को की जाएगी।