नई दिल्ली/बेंगलूरु/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को रिश्वत मामले में राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एचपी संदेश के एडीजीपी सहित अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड की मांग सहित निर्देशों पर रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी एवं न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत अर्जी के दायरे से बाहर कुछ 'अप्रासंगिक टिप्पणियां' कीं। हालांकि शीर्ष अदालत ने टिप्पणियों को हटाने और मामले को उच्च न्यायालय में किसी अन्य पीठ को स्थानांतरित करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उसे 'पक्षों को संतुलित करना' है।
पीठ ने कहा, 'कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही, जो आरोपियों के साथ कार्यवाही से जुड़ी नहीं है, पर रोक लगा दी गई है। हम उच्च न्यायालय से आरोपी की जमानत याचिका पर विचार करने का अनुरोध करते हैं। इसे तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें।'
शीर्ष अदालत को राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रतिकूल मौखिक टिप्पणियों के अलावा, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने 2016 से एसीबी द्वारा जांच किए गए अभियोजन/मामलों को बंद करने पर रिपोर्ट मांगने और एक आरोपी की नियमित जमानत आवेदन पर विचार करते हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के गोपनीय सेवा रिकॉर्ड को तलब करने के निर्देश जारी किए थे।
शीर्ष अदालत कर्नाटक सरकार, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एडीजीपी सीमांत कुमार सिंह और उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संदेश की प्रतिकूल टिप्पणी के खिलाफ जेल में बंद अधिकारी जे मंजूनाथ द्वारा दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने मौखिक रूप से एसीबी को 'संग्रह केंद्र' और सिंह को 'दागी अधिकारी' कहा था। न्यायमूर्ति संदेश ने अपनी प्रतिकूल टिप्पणी के बाद आदेश में स्थानांतरण की धमकी मिलने का भी दावा किया था और मामले में महेश की जमानत याचिका पर विचार करते हुए सुनवाई का दायरा बढ़ाया था। एसीबी के एडीजीपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने प्रतिकूल टिप्पणी को हटाने की मांग की।
जेल में बंद अधिकारी जे मंजूनाथ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस नागमुथु ने आग्रह किया कि मामला किसी अन्य पीठ को सौंपा जाए। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाओं पर नोटिस का आदेश देते हुए कहा, 'क्षमा करें, हमें पक्षों को संतुलित करना होगा। हमें एक का पक्ष लेते हुए नहीं देखा जा सकता है।'
गौरतलब है कि हाल में तत्कालीन बेंगलूरु शहरी उपायुक्त मंजूनाथ, जिन्हें रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया गया है, ने शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें न्यायाधीश संदेश द्वारा एक अन्य आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान 'अनुचित टिप्पणी' करने के बाद मीडिया ट्रायल का आरोप लगाया गया है।
राज्य सरकार और एसीबी प्रमुख ने पहले उच्च न्यायालय के आदेश और टिप्पणियों के खिलाफ अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को न्यायमूर्ति संदेश से मामले की सुनवाई तीन दिन के लिए टालने का अनुरोध किया था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सिंह ने अपनी अलग याचिका में न्यायमूर्ति संदेश की प्रतिकूल टिप्पणी को हटाने और उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।