श्रीनगर/दक्षिण भारत/भाषा। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे से इस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कपिल सिब्बल के बाद आजाद भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर चले गए। उन्होंने पार्टी से सभी पद तो छोड़े ही, प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है।
इस तरह विभिन्न चुनावों में कमजोर प्रदर्शन के साथ कांग्रेस से इसके नेताओं का इस्तीफा देकर चले जाना झटकों पर झटकों जैसा है। आजाद ने अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है, जिसके पांच पन्नों में पार्टी की ‘खामियों’ की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की है।
आजाद का कहना है कि उन्होंने ‘भारी मन’ से यह कदम उठाया है। पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले जी-23 समूह में शामिल आजाद ने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को संचालित कर रहे कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित कांग्रेस ने भारत के लिए हितकारी मुद्दों की खातिर लड़ने की इच्छाशक्ति और क्षमता खो दी है।
उन्होंने पत्र में कहा कि पार्टी नेतृत्व को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी।
आजाद ने कहा कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया और नीचा दिखाया गया।
उन्होंने कांग्रेस से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं कराए गए।
आजाद ने कहा कि कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए हैं, जहां से वापस नहीं आया जा सकता। उन्होंने कहा कि पार्टी में नेतृत्व के लिए परोक्ष तौर पर अपने प्रतिनिधियों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने पार्टी के साथ ‘बड़े पैमाने पर हुए धोखे’ के लिए नेतृत्व को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि एआईसीसी के चुने हुए पदाधिकारियों को एआईसीसी का संचालन करने वाले कुछ लोगों द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।