जैसलमेर/भाषा। राजस्थान में लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि रामदेवरा में सालाना मेले के लिए श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। मुख्य मेला इस महीने के आखिर में लगेगा जिसमें 35 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रामदेवरा मेला की तिथि हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दूज से एकादशी तक होती है। इस साल मेला 29 अगस्त से सात सितंबर तक चलेगा। हालांकि भादों शुरू होते ही पैदल यात्री, मंदिर पहुंचना शुरू हो गए हैं। यह मंदिर पोकरण के रुणिचा धाम में स्थित है, जिसे रामदेवरा भी कहा जाता है। मेले में सभी धर्मों के लोग समान श्रद्धाभाव के साथ पहुंचकर धोक लगाते हैं।
मेला अधिकारी और एसडीएम राजेश विश्नोई ने कहा, ‘मेले का आयोजन दो साल बाद किया जा रहा है और इसलिए इस साल अधिक संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है। हमें लगभग 30-35 लाख भक्तों के आने की उम्मीद है।’
उन्होंने बताया, भीड़ के प्रबंधन के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। मंदिर के पास ‘सर्पिल’ (जिगजैग) कतारों का इंतजाम है जिसमें एक साथ आठ हजार व्यक्तियों को समायोजित किया जा सकता है। इसके बाद एक किलोमीटर की दूरी पर ऐसी ही एक और व्यवस्था की गई है जिसमें छह कतार हैं।
इस वर्ष आगंतुकों की अधिक संख्या की संभावना को देखते हुए अतिरिक्त बैरिकेडिंग की गई है।
बड़ी संख्या में भक्त राजस्थान के विभिन्न हिस्सों के अलावा अन्य राज्यों से भी श्पदयात्राश् के तहत मंदिर पहुंचते हैं। श्रद्धालु दिन और रात चलते हैं, जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा होता है। 15 अगस्त की सुबह पाली जिले में हुई ऐसी ही एक घटना में एक महिला सहित पांच तीर्थयात्री मारे गए थे और चार अन्य घायल हो गए थे।
सीकर जिले के खाटू श्याम मंदिर में हाल में हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने रामदेवरा मेले की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। खाटू श्याम मंदिर हादसे में तीन महिलाओं की मौत हो गई थी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पैदल चलने वालों की सुरक्षा को लेकर 15 अगस्त को बैठक की और अधिकारियों को शराब पीकर गाड़ी चलाने और तेज वाहन चलाने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए।
इतिहासकारों के अनुसार तंवर राजपूत, लोकदेवता रामदेव ने रूणिचा गांव में 33 साल की उम्र में 1459 ई. में समाधि ली थी। उन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता था और हिंदू, मुस्लिम, जैन और सिख उनके अनुयायी हैं। समाधि के चारों ओर बीकानेर के तत्कालीन शासक गंगा सिंह द्वारा 1931 में मंदिर बनवाया गया था। इस बार लगने वाला यह 638वां मेला है।