हमारी सेनाएं दुश्मन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना जानती हैं: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सशस्त्र बलों के जवानों के साथ दीपावली मनाने कारगिल पहुंचे


कारगिल/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को सशस्त्र बलों के जवानों के साथ दीपावली मनाने कारगिल पहुंचे। इस अवसर पर जवानोंं और अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे लिए तो वर्षों-वर्ष से मेरा परिवार आप ही सब हैं। मेरी दीपावली की मिठास आप के बीच बढ़ जाती है, मेरी दीपावली का प्रकास आपके बीच है और अगली दीपावली तक मेरा पथ प्रशस्त करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ एक भी लड़ाई ऐसी नहीं हुई है, जहां कारगिल ने विजय ध्वज न फहराया हो। सेना के जवान ही मेरा परिवार, आपके शौर्य से इस राष्ट्र का अस्तित्व अमर है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कारगिल में हमारी सेना ने आतंक के फन को कुचला था और देश में जीत की ऐसी दीपावली मनी कि लोग आज भी उसे याद करते हैं।

शौर्य के अप्रतिम गाथाओं के साथ ही हमारी परंपरा, मधुरता और मिठास की भी है। इसलिए भारत अपने त्योहारों को प्रेम के साथ मनाता है। पूरी दुनिया को उसमें शामिल करके मनाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में अनेक सैनिक स्कूल खोले जा रहे हैं। सैनिक स्कूलों में, सैन्य ट्रेनिंग संस्थानों को बेटियों के लिए खोल दिया गया है। भारत की सेना में बेटियों के आने से हमारे ताकत में वृद्धि होने वाली है। हमारा सामर्थ्य बढ़ने वाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी तीनों सेनाओं ने आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया है। मैं प्रशंसा करता हूं अपनी तीनों सेनाओं की, जिन्होंने यह तय किया है कि 400 से भी अधिक रक्षा साजो-सामान अब विदेशों से नहीं खरीदा जाएगा। अब ये 400 हथियार भारत में ही बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर युद्ध गहराइयों में हुआ तो अरि का अंत अरिहंत है, भारत के पास पृथ्वी है, आकाश है, अगर विनाश का तांडव है तो शिव का त्रिशूल है, पिनाका है। कितना भी बड़ा कुरुक्षेत्र होगा, लक्ष्य भारत का अर्जुन भेदेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम युद्ध के विरोधी भी हैं, लेकिन शांति भी बिना सामर्थ्य के संभव नहीं होगी। हमारी सेनाओं के पास सामर्थ्य भी है, रणनीति भी है। अगर कोई हमारी तरफ नजर उठाकर देखेगा, हमारी तीनों सेनाएं दुश्मन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना भी जानती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सामने, हमारी सेनाओं के सामने एक और सोच अवरोध बनकर खड़ी थी। यह सोच है गुलामी की मानसिकता। आज देश इस मानसिकता से भी छुटकारा पा रहा है।

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