नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि उसकी पांच न्यायाधीशों की पीठ सबरीमला मामले में पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र के तहत अपनी सीमित शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कानून के प्रश्नों को वृहद पीठ को भेज सकती है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रता एवं आस्था संबंधी मामलों पर सात प्रश्न तैयार किए, जिनकी सुनवाई नौ न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ करेगी।
पीठ ने कहा कि उसकी नौ न्यायाधीशों की पीठ संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों के अधिकार के साथ इसके परस्पर प्रभाव एवं संबंध के मामले पर सुनवाई करेगी।
यह पीठ धार्मिक प्रथाओं के संबंध में न्यायिक पुनरीक्षा की सीमा और संविधान के अनुच्छेद 25(2)(बी) में ‘हिंदुओं के वर्गों’ के अर्थ पर भी सुनवाई करेगी।
पीठ किसी विशेष धर्म या धर्म के सम्प्रदाय से संबंध नहीं रखने वाले व्यक्ति के जनहित याचिका दायर करके उस विशेष धर्म की धार्मिक आस्थाओं पर सवाल करने के अधिकार को लेकर भी सुनवाई करेगी।