तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। पड़ोसी देश श्रीलंका में ईस्टर के दिन सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद वहां बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस बीच भारत में भी ऐसे कदम की मांग होने लगी थी। हालांकि इसके विरोध में भी स्वर उठे, लेकिन केरल के एक अल्पसंख्यक कॉलेज ने बड़ा फैसला लेते हुए छात्राओं के बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मल्लपुरम में मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित इस कॉलेज ने एक आदेश जारी कर संस्था में बुर्का पहनकर आने पर पाबंदी लागू की है।
इस फैसले के बाद संस्था को स्थानीय धार्मिक संगठनों की आलोचना का सामना करना पड़ा। वहीं, सोशल मीडिया में काफी तादाद में यूजर्स ने इस फैसले का समर्थन किया है। बता दें कि सार्वजनिक स्थान पर बुर्के पर प्रतिबंध को लेकर कई देशों में मांग उठ चुकी है। दुनिया में बढ़ते आतंकवाद के खतरे के मद्देनजर कई सामाजिक संगठन, कार्यकर्ता और लेखक बुर्के पर प्रतिबंध की वकालत कर चुके हैं।
श्रीलंका में बम धमाकों के बाद वहां की सरकार ने ऐहतियात के तौर पर कुछ बड़े कदम उठाए जिनमें सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने वाले हर किस्म के कपड़े पर पाबंदी भी शामिल है। इधर, भारत में शिवसेना के मुखपत्र में संपादकीय लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की गई कि बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। बाद में सफाई दी गई कि ये संपादक के निजी विचार थे, लेकिन तब तक मामला सोशल मीडिया पर फैल चुका था और कई धर्मगुरु इस पर ऐतराज भी जता चुके थे।
भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने बुर्के पर पाबंदी की मांग का समर्थन किया। वहीं, भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध की कोई आवश्यकता नहीं है। एआईएमआईएम अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी बुर्के पर पाबंदी की मांग का विरोध किया और इस पहनावे को संविधान द्वारा दिया गया अधिकार बताकर शिवसेना पर निशाना साधा।
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