कोच्चि/भाषा। केरल उच्च न्यायालय ने वालयार मामले में बुधवार को पुन: मुकदमा चलाने का आदेश दिया। यह मामला 2017 में कथित यौन उत्पीड़न के बाद दो बहनों के अपने घर में मृत मिलने से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति ए हरिप्रसाद और न्यायमूर्ति एमआर अनिता की खंडपीठ ने राज्य सरकार और बच्चियों की मां की ओर से दायर अपील को मंजूर कर लिया तथा मामले में पांच आरोपियों को बरी करने के पॉक्सो अदालत के आदेश को दरकिनार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने आरोपियों को आगामी 20 जनवरी को निचली अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। इसने कहा कि जांच में गंभीर खामियां रहीं और समूचे मामले पर पुन: विचार किए जाने की आवश्यकता है।
पीठ ने अभियोजन को मामले में आगे की जांच के लिए निचली अदालत से अनुमति मांगने की स्वीकृति भी दे दी। उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले की जांच में शुरू में गंभीर खामियां रहीं और जांच अधिकारी छोटी लड़की की मौत के एक सप्ताह बाद भी कोई उचित वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने में विफल रहा।
पीठ ने मामले से निपटने में पॉक्सो अदालत के तरीके पर भी असंतोष व्यक्त किया और पॉक्सो अदालत के न्यायाधीशों को विशेष प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों बहनों में से 13 वर्षीय बड़ी लड़की पलक्कड़ के वालयार स्थित अपने घर में 13 जनवरी 2017 को फंदे से लटी मिली थी, जबकि नौ वर्षीय उसकी छोटी बहन चार मार्च को मृत मिली थी।
ये दोनों लड़कियां कथित रूप से यौन उत्पीड़न की शिकार हुई थीं। पलक्कड़ स्थित विशेष पॉक्सो अदालत ने हालांकि अक्टूबर 2019 में साक्ष्यों के अभाव में पांचों आरोपियों को बरी कर दिया था।
आरोपियों को बरी किए जाने के बाद सरकार ने 18 नवंबर को मामले को देखने वाले लोक अभियोजक को हटा दिया था। सरकार ने इसके बाद आरोपियों को बरी किए जाने के पॉक्सो अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।