जेल में शशिकला को विशेष सुविधाओं के मामले में भिड़े वरिष्ठ पुलिस अधिकारी

जेल में शशिकला को विशेष सुविधाओं के मामले में भिड़े वरिष्ठ पुलिस अधिकारी

बेंगलूरु। आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति इकट्ठी करने के आरोप में इस वर्ष फरवरी में दोषी ठहराई गईं तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की करीबी रहीं वीके शशिकला को शहर की परप्पना अग्रहारा जेल में अति महत्वपूर्ण व्यक्ति की तरह विशेष सुविधाएं मिलने के मामले में पुलिस के वरिष्ठतम अधिकारियों के बीच ठनी हुई है। उप महानिरीक्षक (कारागार) डी. रूपा ने इस जेल का एक दौरा करने के बाद पुलिस महानिदेशक एचएस सत्यनारायण राव को चार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में महानिदेशक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वहीं, महानिदेशक राव ने इन आरोपों को गलत, बेबुनियाद और काल्पनिक बताया है।१० जुलाई को जेल का दौरा करने के बाद तैयार की गई रूपा की रिपोर्ट के मुताबिक, ’’वीके शशिकला को इस जेल में विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं, जिनमें उनके (शशिकला के) लिए भोजन बनाने का एक विशेष रसोईघर भी शामिल है। सुनने में आया है कि वरिष्ठ जेल अधिकारियों ने इस सुविधा के लिए रिश्वत के तौर पर दो करो़ड रुपए की रिश्वत प्राप्त की है। यह अफवाह भी है कि इस रसोईघर के बारे में आपका (पुलिस महानिदेशक का) ध्यान आकर्षित किए जाने के बावजूद जेल नियमों के विरुद्ध इस खास रसोईघर का बदस्तूर काम जारी है।’’ठ्ठर्‍ज्र्‍झ्र्‍ द्मष्ठ ृय्द्यह्झ् क्वय्यद्यज् ्य·र्ैंॅडीआईजी रूपा द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट में कहा गया गया है, ’’चूंकि दुर्भाग्य से इस मामले में आपके खिलाफ भी आरोप लगाए जा रहे हैं, इसलिए आपसे आग्रह किया जा रहा है कि इस मामले को देखें और गलती करने वाले जेल अधिकारियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करें।’’ इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए डीजीपी राव ने चेतावनी दी कि वह कनिष्ठ अधिकारी रूपा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने इस दावे को भी सिरे से खारिज कर दिया कि परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल में कैद शशिकला को जेल नियमों से इतर किसी प्रकार की विशेष सुविधा दी जा रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि जेल में शशिकला के मुलाकातियों को भी किसी प्रकार की वरीयता नहीं दी जा रही है, भले ही वह मंत्री, विधायक, सांसद हों।दूसरी तरफ, डीआईजी रूपा ने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ शशिकला को ही नहीं, फर्जी स्टांप पेपर घोटाले के आरोप में इसी जेल में कैद अब्दुल करीम तेलगी को भी खास सुविधाएं मिलने की बात कही है। जेल अधिकारियों ने ऐसे कैदियों को तेलगी की सेवा में लगा रखा है, जिनके खिलाफ लगे आरोपों की सुनवाई फिलहाल पूरी नहीं हुई है। चार कैदी तेलगी के हाथ-पांव दबाने, शरीर की मालिश करने और अन्य इसी प्रकार के काम किया करते हैं। रूपा ने रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया है कि छह महीने पहले एक अदालती निर्देश के तहत ह्वीलचेयर का प्रयोग करने वाले तेलगी को सहायक उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि तेलगी को अब उस ह्वीलचेयर की जरूरत नहीं है लेकिन उसे अब तक सहायक उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।ठ्ठर्‍ृय्ंश्चज्र्‍ र्चैंझ्य् द्मष्ठ ठ्ठर्‍ज्र्‍झ्र्‍ फ्ष्ठ ्य·र्ैंॅ फ्प्य्ध्डीआईजी डी. रूपा ने अपनी रिपोर्ट में डीजीपी को संबोधित करते हुए लिखा है, ’’मुझे लगता है कि आपने भी अपने चेंबर में लगे सीसीटीवी कैमरे के जरिए जेल में तेलगी को मिल रही सुविधाओं को देखा होगा। विचाराधीन कैदियों को तेलगी जैसे दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की सेवा में लगाया जाना जेल नियमों का उल्लंघन है। यह जानने के बावजूद जेल अधीक्षक ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।’’गुरुवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में रूपा की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए सत्यनारायण राव ने कहा, ’’जेल में शशिकला के लिए कोई विशेष रसोईघर नहीं बनाया गया हैै। वह अन्य सभी कैदियों की ही तरह रहती हैं।’’ उन्होंने कहा कि डीआईजी रूपा की रिपोर्ट उनके कार्यालय को उस समय भेजी गई थी, जब सामान्य काम-काज का समय पूरा हो चुका था। यह रिपोर्ट कुछ ही समय बाद मीडिया को उपलब्ध करवा दी गई। मीडिया ने तत्काल यह रिपोर्ट जारी भी कर दी। राव ने कहा, ’’एक कनिष्ठ अधिकारी होने के नाते उन्हें पहले मेरे साथ इस विषय में बात करनी चाहिए थी। उन्हें मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में मुझसे विचार-विमर्श करना चाहिए था। मैं रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों की किसी भी जांच का स्वागत करता लेकिन उन्होंने यह मुद्दा बिना किसी सबूत के मीडिया के सामने रख दिया।’’र्चैंझ्य् ·र्ैंह् ज्य्द्यर्‍ ब्रुॅ द्बष्ठद्बह्राव ने बताया कि उन्होंने डीआईजी रूपा को मीडिया के सामने यह मामला उछालने के लिए दो मेमो जारी किए हैं्। इस के साथ ही मुख्यमंत्री की बैठक में शामिल होने के स्थान पर जेल का दौरा करने और सोशल मीडिया पर अपनी रिपोर्ट का खुलासा करने पर भी उन्हें मेमो जारी किया गया है। उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर उन्हें जेल का दौरा करने के लिए किसने अधिकृत किया था? क्या इस पूरे मामले को वह अपने खिलाफ साजिश मानते हैं? पत्रकारों द्वारा पूछे गए इस प्रश्न के उत्तर में राव ने कहा, ’’शायद इसके पीछे कोई साजिश है। मुझे इसकी जानकारी नहीं है।’’र्चैंझ्य् ·र्ैंर्‍ ्यद्यझ्ह्ट्टश्च द्बष्ठ्र ·र्ैंंश्च ख्ैंद्नर्‍द्य ृय्द्यह्झ्अपनी रिपोर्ट में डीआईजी रूपा ने बताया कि परप्पना अग्रहारा में कई प्रकार की गैर-कानूनी गतिविधियां नजर आती हैं। जेल में बंद कैदी गांजा पीते नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि जेल के दौरे पर उन्होंने २५ कैदियों का ड्रग किट के जरिए टेस्ट करवाया और उन्हें आश्चर्य हुआ कि डॉक्टरों ने इनमें से १८ के मादक पदार्थ सेवन करने की पुष्टि की हैै। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस महानिदेशक सत्यनारायण राव उनके काम-काज में लगातार हस्तक्षेप करते रहे हैं। उनके जेल दौरे के दूसरे ही दिन उन्हें आधिकारिक मेमो थमा दिए गए। उन्होंने दावा किया कि वह अपने तयशुदा दायरे में ही काम कर रही हैं। बहरहाल, अपनी रिपोर्ट पर किसी प्रकार की टिप्पणी से इन्कार करते हुए रूपा ने बताया कि अगर डीजीपी को यह रिपोर्ट गलत लगती है तो इसकी दोबारा जांच करवाने के कई उपाय और तरीके उनके पास मौजूद हैं। इस रिपोर्ट की एक प्रति राज्य सरकार को भी सौंपी गई है। इसके तथ्यों की जांच के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित की जा सकती है।ज्य्ैंघ् द्बष्ठ्र फ्द्धरूत्र ृय्ॅैंख्ष्ठ फ्य्द्बद्मष्ठअपनी रिपोर्ट में कुछ अफवाहों के आधार पर डीजीपी के खिलाफ आरोप लगाने के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में रूपा ने कहा, ’’इस रिपोर्ट में ऐसे तथ्य दिए गए हैं, जिन्हें अब भी साबित किया जा सकता है। जांच शुरू हो तो यह सबूत भी सामने आ जाएंगे। इस रिपोर्ट में तथ्य भी हैं और अफवाहें भी हैं। मैंने अफवाहों को अफवाह कहा है, उन्हें तथ्यों का रूप नहीं दिया। मैंने अपनी हर जानकारी रिपोर्ट में लिखी है और यह रिपोर्ट मैंने सीधे डीजीपी को ही सौंपी है। उन्हें इस पर सकारात्मक ढंग से विचार करना चाहिए।’’ डीजीपी द्वारा मुख्यमंत्री की बैठक में शामिल न होने पर थमाए गए मेमो के बारे में पत्रकारों के एक प्रश्न के उत्तर में डीआईजी रूपा ने कहा कि डीजीपी ने पूर्व में उनसे यह कहा था कि अगर उनका (डीजीपी का) विशेष निर्देश नहीं हो तो मुख्यमंत्री की बैठक में उनकी (रूपा की) मौजूदगी जरूरी नहीं होगी। चूंकि डीजीपी ने बैठक में शामिल होने के बारे में कोई मौखिक या लिखित निर्देश जारी नहीं किया था, इसलिए वह बैठक में नहीं गईं। उन्होंने कहा, ’’मुख्यमंत्री की बैठक में भाग लेना एक प्रकार का विशेषाधिकार है। मैं ऐसा मौका क्यों खोना चाहूंगी? सच यह है कि मुझसे किसी ने उस बैठक में शामिल होने के लिए नहीं कहा।’’

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