शो-पीस बनकर रह गए हैं शहर के बायो शौचालय

शो-पीस बनकर रह गए हैं शहर के बायो शौचालय

चेन्नई। शहर को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए चेन्नई नगर निगम ने गत दो-तीन वर्षों के दौरान काफी कार्य किए हैं। निगम ने अपने इन्हीं प्रयासों के तहत शहर में विभिन्न स्थानों पर ३५० बायो शौचालयों को स्थापित किया है। इस पर लगभग ६० करो़ड रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन यह अफसोसजनक है कि यह शौचालय शहरवासियों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो पा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर नि्क्रिरय हो चुके हैं। जिन स्थानों पर बायो शौचालय स्थापित किए गए हैं वहां आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि जिस दिन से इनकी स्थापना की गई है ठीक उसी दिन से इनमें ताला बंद है।शहर के काफी व्यस्त रहने वाले इलाके, जैसे कि बसंत नगर बस स्टॉप, वेलाचेरी के बेबी नगर, तारामणि मैन रोड और पेरम्बूर लोको वर्क्स रोड के निकट जवाहर नगर के पास स्थित तथा टीनगर के पोंडी बाजार में स्थित बायोशौचालय काम नहीं कर रहे हैं। बसंत नगर के स्थानीय लोगों का कहना है कि इन शौचालयों को बनवाकर सिर्फ टैक्स अदा करने वाले लोगों के धन की बर्बादी की गई है। शौचालयों में ताला बंद होने के कारण यहां आने वाले लोग स़डकों के किनारे मूत्र त्याग करते हैं जिससे बदबू चारों और फैलती रहती है। एक ओर जहां देश को खुले में शौच करने से मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है वहीं इन शौचालयों में ताला बंद होने के कारण निकट की झुग्गी झोपि़डयों में रहने वाले लोग खुले में शौच करने के लिए बाध्य हो रहे हैं। कुछ शौचालयों में पानी और बिजली का कनेक्शन उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में निगम के अधिकारियों का कहना है कि पानी का कनेक्शन देने का कार्य चेन्नई मेट्रो वाटर और बिजली का कनेक्शन देने की जिम्मेदारी तमिलनाडु बिजली बोर्ड पर है। निगम की ओर से किसी भी बायो शौचालय के स्थापित होने के बाद चेन्नई मेट्रो वाटर और बिजली बोर्ड को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जानकारी दे दी जाती है। हालांकि इसके बावजूद भी अगर कनेक्शन नहीं दिया जाता है तो इसमें निगम की कोई गलती नहीं है।पेरम्बूर लोको वर्क्स रोड के पास तो स्थिति इतनी दयनीय है कि लोग उस रास्ते से जाना नहीं चाहते क्योंकि बायो शौचालय काम नहीं करने के बावजूद कुछ लोग इस शौचालय की ओट में शौच करते हैं जिससे गंदगी और बदबू ब़ढ रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने एक दो बार निगम के हेल्पलाइन नंबर पर इस संबंध में शिकायत भी दर्ज कराई थी लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं किया गया। अधिकारियों का कहना है कि बायो शौचालयों को व्यवस्थित करने में नागरिक सहयोग नहीं दे रहे हैं। इन शौचालयों के स्थापित होने के बाद ही दरवाजे और कुंडी टूटने की शिकायतें प्राप्त होने लगी। इन शिकायतों का समाधान भी किया गया लेकिन हर बार इस प्रकार की शिकायत सामने आने पर निगम के कर्मचारियों को परेशानी होती है।लोगों का कहना है कि जिन स्थानों पर बायो शौचालयों को लोगों के उपयोग के लिए खोले रखा गया है वहां पर इसी स्थिति ठीक नहीं है। इनके रखरखाव के लिए निगम की ओर से कर्मचारी नहीं रखे गए हैं। कुछ स्थानों पर सीवर का कनेक्शन टूट जाने के कारण इन शौचालयोंे से गंदा पानी निकल कर स़डकों पर फैल रहा है। इस संबंध में निगम के अधिकारियों का कहना है कि जिस समय बायो शौचालय स्थापित किए गए थे उस समय लोगों से यह स्पष्ट तौर पर कह दिया गया था कि इसके रखरखाव के लिए करार पर कर्मचारियों को नहीं रखा जाएगा। जिन स्थानों पर इन्हें स्थापित किया गया है वहां के लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इसका उपयोग अच्छे ढंग से करें और गंदगी नहीं फैलाएं।

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