चेन्नई/भाषा। आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि केंद्र के त्रिभाषा फार्मूले को लेकर हाल के विवाद का केंद्र रहा तमिलनाडु हिंदी सीखने के इच्छुक लोगों की संख्या की दृष्टि से दक्षिणी राज्यों में शीर्ष पर है। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपी) के अनुसार कुशलता स्तरों, ‘परिचय से प्रवीण’ तक, के लिए विभिन्न हिंदी परीक्षाओं में शामिल होने वालों की संख्या में पिछले दशक की तुलना में शत प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
महात्मा गांधी ने दक्षिणी राज्यों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के एक मात्र लक्ष्य के साथ 1918 में इस सभा की स्थापना की थी।वर्ष 2018 में 5.80 लाख विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न परीक्षाएं देने के साथ हिंदी सीखने के संबंध में तमिलनाडु शीर्ष पर रहा। आंध्रप्रदेश (तेलंगाना समेत) में 2.4 लाख, कर्नाटक में 60,000 और केरल में 21,000 लोगों ने हिंदी सीखने से संबंधित ‘परिचय से प्रवीण’ स्तरों की विभिन्न परीक्षाएं दी थीं।
यह आंकड़ा साझा करते हुए डीबीएचपी महासचिव एस जयराज ने कहा कि भले ही जो भी विवाद हो, लेकिन उससे हटकर आवश्यकता एक ऐसा कारक है जो लोगों को कोई भाषा सिखाता है। उन्होंने कहा, 2009 में 2.68 लाख लोगों ने विभिन्न परीक्षाएं दी थीं जो 2018 में बढ़कर 5.80 हो गई। इस साल हम करीब छह लाख की उम्मीद कर रहे थे।
उन्होंने कहा, हम पिछले 100 सालों से हिंदी पढ़ा रहे हैं। किसी भी भाषा को सीखने से आपके ज्ञान का धरातल का विस्तार होता है। जितना आप सीखते हैं, उतना ही अच्छा है और यह व्यक्ति की जरूरत पर आधारित है। यह संगठन आठ कुशलता स्तरों- परिचय, प्राथमिक, मध्यमा, राष्ट्रभाषा, प्रवेशिका, राष्ट्रभाषा विशारद, राष्ट्रभाषा प्रवीण और निष्णात- के लिए परीक्षाएं आयोजित कराता है।