तमिलनाडु पर थोपी हिंदी तो सड़कों पर उतरेंगे प्रदेश के युवा: द्रमुक

तमिलनाडु पर थोपी हिंदी तो सड़कों पर उतरेंगे प्रदेश के युवा: द्रमुक

सांकेतिक तस्वीर

चेन्नई/दक्षिण भारत। केंद्र में मोदी सरकार का कामकाज शुरू होने के बाद अब नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर कामकाज शुरू हो गया है। नए मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के पद संभालने के कुछ देर बाद ही नई शिक्षा नीति बनाने वाली के. कस्तूरीरंगन समिति ने उन्हें इसका खाका मसौदा सौंपा। इस नीति का इंतजार करीब दो साल से हो रहा था और आखिरकार यह तैयार होकर मंत्रालय में आ गई है। पॉलिसी में सबसे ज्यादा फोकस भारतीय भाषाओं पर किया गया है। शिक्षा नीति के लागू होने से पहले ही तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) के सांसदों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

वहीं, तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) ने और राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र की सरकार तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश करेगी तो प्रदेश के लोग सड़क पर उतरकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे। तिरुचि ने कहा कि सरकार अगर हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करती है तो यह आग में घी डालने जैसा होगा और प्रदेश के युवा इसके खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे। नई शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए तिरुचि ने कहा कि देश में हिंदी भाषी और गैर हिंदी भाषी राज्यों को अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार जबरन हिंदी को लागू कराने का प्रयास करेगी तो हम इसे रोकने के लिए हर परिणाम का सामना करने को तैयार रहेंगे।

हिंदी को किसी पर भी थोपना ठीक नहीं: हासन
वहीं राजनीतिक दल मक्कल नीधि मय्यम के प्रमुख कमल हासन ने इस मामले पर कहा है कि सरकार ने तीन भारतीय भाषाओं की पढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। मैंने तमाम फिल्मों में काम किया है और मैं यह मानता हूं कि हिंदी भाषा को किसी भी व्यक्ति पर थोपना ठीक नही है। बता दें कि नई एज्युकेशन पॉलिसी में कहा गया है कि बच्चों को प्री-प्राइमरी से लेकर कम से कम पांचवीं तक और वैसे आठवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए।

तीन भारतीय भाषाएं सीखें
प्रस्ताव में कहा गया है कि प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए जिसमें वह इन्हें बोलना सीखें और इनकी स्क्रिप्ट पहचाने और पढ़ें। तीसरी क्लास तक मातृभाषा में ही लिखें और उसके बाद दो और भारतीय भाषाएं लिखना भी शुरू करें। अगर कोई विदेशी भाषा भी पढ़ना और लिखना चाहे तो यह इन तीन भारतीय भाषाओं के अलावा चौथी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाए।

कनिमोझी ने भी नीति के खिलाफ उठाई आवाज
तिरुचि शिवा और कमल हासन को तूतुकुड़ी की लोकसभा सांसद तथा द्रमुक की वरिष्ठ नेता कनिमोझी करुणानिधि का भी पूरा समर्थन मिला है। उन्होंने इस खाका शिक्षा नीति के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि उनकी पार्टी यह नीति पूरे देश में लागू करने के किसी भी प्रयास का तीखा विरोध करने को प्रतिबद्ध है। इस सिलसिले में अन्नाद्रमुक की अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ने वाली पार्टी पट्टालि मक्कल काच्चि (पीएमके) की प्रतिक्रिया दिलचस्प रही। पार्टी के संस्थापक एस रामदॉस ने इस नीति पर सिर्फ इतना ही कहा है कि केंद्र सरकार को किसी भी राज्य पर हिंदी को थोंपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

जावड़ेकर की सफाई
नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को लेकर विवाद पर मौजूदा सूचना एवं प्रसारण और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सफाई दी है। दक्षिण भारतीय राज्यों में कथित तौर पर हिंदी भाषा थोपने को लेकर जारी विरोध पर जावड़ेकर ने कहा कि ऐसी कोई भी योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी पर कोई भाषा थोपने का विचार नहीं है। हम देश की सभी भाषाओं को प्रमोट करना चाहते हैं। उन्होंने त्रिभाषा व्यवस्था को लेकर कहा कि अभी कमिटी ने इस पर प्रस्ताव ही तैयार किया है। इसे पब्लिक के फीडबैक के बाद सरकार की ओर से लागू करने का फैसला लिया जाएगा।

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