उच्च न्यायालय का सख्त रुख: मानदंडों का उल्लंघन करने पर बंगलों को ध्वस्त करने का आदेश

उच्च न्यायालय का सख्त रुख: मानदंडों का उल्लंघन करने पर बंगलों को ध्वस्त करने का आदेश

मद्रास उच्च न्यायालय

चेन्नई/दक्षिण भारत। मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तटीय विनियमन क्षेत्र उल्लंघन मामले में ईसीआर पर बंगाल की खाड़ी के करीब निर्मित बंगलों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। इसके अलावा, तट के करीब पांच अन्य बंगलों के बिजली और पानी के कनेक्शन काटने के लिए भी कहा।

जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस आर हेमलता की डिवीजन बेंच ने यह आदेश पारित किया। न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत याचिकाओं में ईसीआर पर अक्कराई गांव और शोलिंगनाल्लुर पंचायत के पुन: वर्गीकरण पर विचार करने के लिए तमिलनाडु तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने की मांग की गई थी। साथ ही इसके लिए 19 फरवरी, 1991 की भारत सरकार की अधिसूचना में निहित दिशा-निर्देशों के अनुसार सीआरजेड-।। के तहत क्षेत्रों का जिक्र किया गया था।

केरल के मरदु में सीआरजेड उल्लंघन के हालिया मामलों का हवाला देते हुए, जहां इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया था, न्यायाधीशों ने अक्कराई के पास ईसीआर पर भूखंड संख्या 35, 36, 37 पर निर्मित इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया और पीएस गोविंदाचारी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।

पीठ ने सैय्यद अब्बास द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर ईसीआर, मुत्तुकादु पर प्लॉट 10 और 11 में बिजली व सीवेज कनेक्शन और पानी की आपूर्ति बंद करने के निर्देश दिए।

पीठ ने संबंधित एसपी को निर्देश दिया कि वह ध्वस्तीकरण की इस प्रकिया को अंजाम देने के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान करें। पीठ ने निर्देश दिया कि इस आदेश से नगरपालिका प्रशासन और जल आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को सूचित किया जाए।

सरकारी अधिकारियों ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में बताया था कि मुत्तुकादु के पिछले हिस्से और सीआईबीए के अंतिम हिस्से में मत्स्य विभाग द्वारा रोधिकाएं डाली गई हैं। यह भी बताया गया है कि समुद्र की लहरों से इमारतों की रक्षा के लिए भूमि की पट्टी में स्थित कुछ घरों के लिए चट्टानों से सुरक्षा दीवार की तरह बनाई गई है जो रोधक के तौर पर कार्य कर रही है।

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