चेन्नई/दक्षिण भारत। शहर जल बोर्ड ने भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) तकनीक का उपयोग कर शहर की मैपिंग करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह पानी और सीवेज पाइप के पूरे नेटवर्क को एक प्रणाली के नीचे लाने के लिए किया जा रहा है। भौगोलिक चित्रों और वास्तविक समय के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, बोर्ड की योजना है कि वह जानकारी संकलित करे जहां से पानी अंतिम उपभोक्ता तक जाता है।
पाइपों की स्थानिक व्यवस्था, रिसाव को ठीक करने या अब की तुलना में बहुत तेजी से मरम्मत करने में मदद करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि अब हम पाइप की स्थिति की कल्पना नहीं कर सकते हैं। हमारे पास जीआईएस नक्शे होने के बाद, नेटवर्क को बहुत कुशलता से बनाए रखा जा सकता है।’
हालांकि मेट्रो वॉटर में पहले जीआईएस मैपिंग विंग था, लेकिन तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी। परियोजना के लिए छह महीने पहले नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए थे। अधिकारी इस तकनीक की व्यावहारिक चुनौतियों और इसके समाधानों के बारे में जानने के लिए हैदराबाद भी गए।
इस परियोजना के लिए विश्व बैंक ने 8 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इसके अलावा, पावर केबल्स के संरेखण के बारे में डेटा के लिए, मेट्रो वाटर टैंगडको के साथ समन्वय करेगा। एक अधिकारी ने जानकारी दी, ‘झीलें जहां से मेट्रो जलस्रोत भी शामिल किया जाएगा। एक बार जब यह नक्शा तैयार हो जाता है, तो हम इसमें और चीजें जोड़ सकते हैं, जैसे- लीक का पता लगाने के लिए वास्तविक समय की निगरानी, ओवरफ्लो और झील के स्तर की देखरेख।’
जीआईएस नक्शा, जो 426 वर्ग किमी के क्षेत्र में शहर को कवर करेगा, पाइप की स्थिति और आयु के बारे में सटीक जानकारी देगा। यह पानी या सीवेज, मूल बिंदु, मरम्मत कार्य के पिछले रिकॉर्ड और अपने गंतव्य के बारे में भी बताएगा।