समुद्री ऊर्जा, समुद्र जैविकी में अनुसंधान, नवाचार की प्रबल आवश्यकता : वेंकैया नायडू

समुद्री ऊर्जा, समुद्र जैविकी में अनुसंधान, नवाचार की प्रबल आवश्यकता : वेंकैया नायडू

चेन्नई/दक्षिण भारत। उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि देश को समुद्री ऊर्जा, समुद्री जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों को अग्रणी बनाने के लिए अनुसंधान कार्यों और नवाचार की महती आवश्यकता है। नायडू ने यहां राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के सिल्वर जुबली समारोह में कहा, यह संस्थान इसको हासिल करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021-30 का दशक सतत विकास के लिए समुद्री विज्ञान का दशक की घोषणा की है। उन्होंने इस पर खुशी जाहिर की भारत समुद्री दिशा में सक्रिय कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। उप राष्ट्रपति ने एनआईओटी की ओर संकेत करते हुए कहा कि ब्लू इकॉनोमी के प्राथमिक छह स्तम्भों जैसे मत्स्य एवं मत्स्य पालन, अक्षय समुद्री ऊर्जा, बंदरगाह और जहाजरानी, हाइड्रोकार्बन और समुद्री खनिज, समुद्री जैविक प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास और पर्यटन के सभी पहलुओं पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ब्लू इकॉनोमी’ संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के 14 वें लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी, जो जल के नीचे जीवन है। नायडू ने कहा, सतत विकास के लिए समुद्र, समुद्री संसाधनों के संरक्षण के साथ उनका निरंतर उपयोग करें। ब्लू इकॉनोमी अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ में भी शामिल हैं जिसकी मार्केटिंग नहीं की जा सकती है। इनमें कार्बन प्राच्छादन, तटीय संरक्षण, सांस्कृतिक मूल्य और जैव विविधता इत्यादि शामिल हैं। नायडू ने विश्वास जताया कि एनआईओटी ब्लू इकोनॉमी की महत्वपूर्ण चुनौती को अच्छी तरह समझता है और समुद्र की स्थिरता के विभिन्न पहलुओं को समझने और बेहतर प्रबंधन एवं मत्स्य पालन से लेकर पारिस्थितिकी, प्रदूषण आदि को संतुलित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि एनआईओटी देश की बढ़ती खनिज आवयकताओं को पूरा करने के लिए समुद्री संसाधनों का दोहन करने के लिए गहरी-समुद्र खनन प्रणाली विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है और निकट भविष्य में इस पर देश की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। उन्होंने कहा, समुद्र के सजीव और निर्जीव संसाधनों की सतत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी का विकास केंद्र सरकार की ब्लू इकोनॉमी की नीति के अनुरूप हो रहा है और यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की तरह समुद्री क्षेत्र में भी देश को सशक्त बनायेगा।
नायडू ने समुद्रों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनजर कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने समुद्र के संसाधनों की स्थायी और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित कटाई के लिए सभी आवश्यक पहलुओं को समझते हुए गहरे समुद्री अभियान को शुरू किया है। उन्होंने पृथ्वी विज्ञान और एनआईओटी को उनके महत्वाकांक्षी परियोजना समुद्रयान’ की सफलता की कामना की है जिनमें अगले कुछ वर्षों में मानव संचालित पनडुब्बी के साथ तीन जलपोतों का गहरे समुद्र में भेजने की परिकल्पना की गयी है। उन्होंने कहा कि इससे भारत अंतरिक्ष और गहरे समुद्रों में फतह हासिल करने के लिए चुनिंदा राष्ट्रों के क्लब में शामिल होने की ओर अग्रसर होगा।

उपराष्ट्रपति ने खारा पानी को इस्तेमाल में लाने के लिए किफायती पहल की पैरवी की

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए खारा पानी को पीने योग्य बनाने की किफायती पहल की हिमायत की और कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए और अनुसंधान किए जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने मत्स्य पालन, जलीय कृषि, नवीन समुद्री ऊर्जा, अपतटीय हाइड्रोकार्बन और मरीन जैव प्रौद्योगिकी सहित ब्लू इकनॉमी के छह मुख्य क्षेत्रों में लगातार प्रयासों के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र की उन्नति के लिए ये सभी महत्वपूर्ण हैं। ब्लू इकनॉमी से संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। ब्लू इकनॉमी का आशय महासागरों के संसाधनों के उपयोग से है।

उन्होंने कहा कि समुद्री ऊर्जा, समुद्री जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में देश को अग्रणी बनाने के लिए अनुसंधान गतिविधियों और नवाचार को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। इन उपलब्धियों को हासिल करने में एनआईओटी अग्रणी भूमिका निभा सकता है। खारा पानी को पीने योग्य बनाने वाले संयंत्रों के लिए एनआईओटी की प्रौद्योगिकी के बारे में उन्होंने कहा, मुझे पता है कि आगामी दिनों में खारा पानी को उपयोग में लाए जाने वाला पानी में बदलने के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ेगी क्योंकि आशंका है कि हमारे सामने जल संकट हो सकता है । उन्होंने कहा कि हमें उपलब्ध समुद्री पानी का इस्तेमाल करने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए आपको और अनुसंधान करने की जरूरत है।
नायडू ने कहा, आपने कुछ समाधान निकाला है लेकिन यह किफायती होना चाहिए क्योंकि समुद्री पानी को उपयोग में लाये जाने वाले पानी में बदलना है। मीठे पानी से बहुत हद तक समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन सवाल है कि कितना खर्च आएगा। उन्होंने कहा, हम 130 करोड़ की आबादी वाले विशाल देश हैं और हमारी जरूरतें भी विशाल हैं। इसलिए हमें मौजूदा चुनौतियों के साथ भविष्य की चुनौतियों से निपटने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। नायडू ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा विकसित चेन्नई के लिए तटीय बाढ़ चेतावनी प्रणाली (सीएफएलओडब्ल्यूएस-चेन्नई) ऐप की भी शुरूआत की।

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