मामल्लपुरम/दक्षिण भारत। वुहान समिट के एक साल बाद भारत के साथ अनौपचारिक वार्ता के लिए भारत पहुंचे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मामल्लपुरम के ऐतिहासिक मंदिरों और यहां की संस्कृति देख अभिभूत हो गए।
वुहान में जिस तरह से चीन के राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत किया था, कुछ उसी तरह से प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति का यहां स्वागत किया। शनिवार को मोदी के साथ अपनी शिखर वार्ता पूरी होने के बाद शी जिनपिंग ने कहा कि मामल्लपुरम आकर उनके मन में वुहान की यादें ताजा हो गईं।
चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें तमिलनाडु आकर बेहद खुशी हो रही है और उन्हें भारत के बारे में अधिक जानने का मौका मिला है। बताया जा रहा है कि मुलाकात के दौरान मोदी और शी ने एक-दूसरे की संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात की।
शी जिनपिंग ने कहा कि सिल्क रूट के दौर से ही तमिलनाडु समुद्री परिवहन का बड़ा हब रहा है। तमिलनाडु का चीन के साथ ऐतिहासिक संबंध रहा है। प्राचीन काल से ही दोनों के बीच बेहद घनिष्ठ व्यापारिक रिश्ते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों की सभ्यता कई हजार साल पुरानी है और तभी से दोनों एक-दूसरे से सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पूर्वजों ने तमाम संकटों से उबरकर आपस व्यापार किया और साहित्य, कला, दर्शन तथा धर्म को बढ़ावा दिया। इसने दोनों ही देशों को फायदा पहुंचाया।
बैठक के दौरान मोदी ने शी से कहा कि मामल्लपुरम के स्मारक भारत की अद्भुत सांस्कृतिक विरासत के उदाहरण हैं। ये स्मारक भारत और चीन के बीच कई सौ साल से चले आ रहे ऐतिहासिक संबंधों के गवाह हैं। दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि चीन और भारत को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और समान विकास और समृद्धि के लिए एक-दूसरे से सीखना चाहिए।
बता दें कि शुक्रवार को चेन्नई पहुंचे जिनपिंग के स्वागत में एयरपोर्ट पर भारतीय कलाकारों ने पूर्ण कुंभम सांस्कृतिक नृत्य का आयोजन किया। उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट में लाल कालीन बिछा दी गई। एयरपोर्ट के बाहर काफी संख्या में छात्र भारत और चीन का झंडा फहराते हुए जिनपिंग का स्वागत करते दिखे।
तमिलनाडु के कलाकारों ने नादस्वरम भी पेश किया। शाम को दोनों नेताओं ने भरतनाट्यम का आनंद लिया। इसके बाद मोदी ने उन्हें रात्रिभोज दिया। इसमें दक्षिण भारत के बेहतरीन पकवान शी को परोसे गए।