वर्तमान चुनौतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए वर्चुअल-क्लासरूम शिक्षा का हो समन्वय: गोयल

वर्तमान चुनौतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए वर्चुअल-क्लासरूम शिक्षा का हो समन्वय: गोयल

रेल मंत्री पीयूष गोयल

चेन्नई/दक्षिण भारत। इस बात को रेखांकित करते हुए कि कोरोना काल के बाद टेक्नोलॉजी और नवाचार आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों पर काबू पाने और विकास एवं समृद्धि का आधार होंगे – रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वर्चुअल शिक्षा और क्लासरूम शिक्षा के समन्वय का आह्वान किया।

गोयल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों में वर्चुअल लर्निंग की बड़ी संभावनाएं खुल रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्चुअल शिक्षा की वर्तमान क्षमता बहुत बड़ी है, करीब 10 बिलियन यूएस डॉलर। उन्होंने कहा कि युवाओं को वर्तमान चुनौतियों का सामना करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा से निपटने में मदद के लिए ‘वर्चुअल शिक्षा और क्लासरूम शिक्षा का एक समन्वय करना’ बेहतर होगा।

मंत्री गोयल एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसआरएमआईएसटी) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘इमर्जिंग इकोनॉमिक सिनेरियो- आइडेंटिफाई एंड क्रिएट काम्पटिन्सीज’ पर एक उद्योग अकादमिक ग्लोबल वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन के मौके पर मुख्य भाषण दे रहे थे।

गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे की पहल पर देशभर में 300 प्रशिक्षण संस्थान हैं, मंत्रालय अब एक ‘राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय’ स्थापित कर रहा है, जो भारत में आधुनिक रेलवे प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। शैक्षणिक कार्यक्रम आंशिक रूप से आभासी और आंशिक रूप से कक्षाओं में होगा और नौकरी पर प्रशिक्षण देकर कुशल श्रमशक्ति का निर्माण करेगा।

उन्होंने कहा कि यह उस तरह का हाइब्रिड एजुकेशनल मॉडल है जिसकी जरूरत थी। मंत्री ने माइकल पोर्टर के एक वाक्य को उद्धृत किया, ‘समृद्धि पैदा की जाती है, विरासत में नहीं मिलती।’ उद्घाटन के मौके पर जारी फिक्की के पेपर ‘ऑनलाइन शिक्षा, अवसर और चुनौतियां’ की प्रशंसा करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि नीति निर्माताओं, शैक्षिक संस्थानों और उद्योग के लिए यह एक अच्छा प्रारंभिक बिंदु होगा।

यह बताते हुए कि प्रौद्योगिकी और शिक्षा ‘यू एंड मी लाइव’ के तरीके को बदल रहे हैं, कुछ ऐसा जो दिखाई नहीं देता है लेकिन हमारे ऊपर बहुत गहरा प्रभाव डालता है, गोयल ने नई दिल्ली में अपने कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए, इस वैश्विक आभासी संगोष्ठी के आयोजन के लिए फिक्की और एसआरएम विश्वविद्यालय की प्रशंसा की कि ‘बहुत महत्वपूर्ण विषय’ पर संवाद प्रारंभ किया है और जिसके परिणामों से कोरोना के बाद की दुनिया में मदद मिलेगी।’

इस बात पर जोर देते हुए कि कैसे तकनीकी योजनाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए कुछ क्षेत्रों में भारत सरकार मदद कर रही है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास में तेजी आएगी, गोयल ने तकनीकी नवाचार और विकास के कारण बढ़ती अमेरिकी अर्थव्यवस्था का हवाला दिया। मंत्री ने कहा, ‘हमें अपने लोगों को कुशल बनाने की जरूरत है ताकि वे टेक्नोलॉजी को ग्रहण कर सकें और दूरियों को पाटा जा सके।

गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योग का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘विश्व योग दिवस’ के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का उल्लेख करते हुए पूछा कि क्या कोई स्टार्ट-अप है जो ‘प्रधानमंत्री द्वारा हमारे लिए खोले गए’ अवसर को हासिल करते हुए ‘योग की शक्ति’ को दुनिया तक ले गया। उन्होंने कहा कि भारत के पास योग का पावरहाउस बनने की क्षमता है।

ऐसा ही अवसर भारत के लिए शिल्प कौशल और बढ़ई की उत्कृष्ट परंपरा के साथ, शेष दुनिया को फर्नीचर निर्यात करने के लिए है, पीयूष गोयल ने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत’ दुनिया के लिए हमारे दरवाजे बंद नहीं करता है, बल्कि यह इसके साथ जोड़ता है और ‘दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ प्रतिस्पर्धा करता है।’

अपने विशेष संबोधन में, फिक्की अध्यक्ष और अपोलो अस्पताल की संयुक्त प्रबंध निदेशक डॉ. संगीता रेड्डी ने शिक्षा, अर्थव्यवस्था और कोरोना से पैदा हालात पर विचार व्यक्त किए। सीखने में डिजिटल और ऑनलाइन पहल को मजबूत करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. संगीता रेड्डी ने प्रस्ताव रखा कि यदि छात्र सितंबर में स्कूल नहीं जा सकते हैं, तो एक नया मंच बनाना अच्छा होगा जो वैश्विक विश्वविद्यालयों और भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच तालमेल की अनुमति दे और विदेशों से छात्रों को भारत में न्यूनतम छह महीने बिताने में सक्षम बनाए। केंद्र इस तरह के नए साझेदारी कार्यक्रम पर विचार कर सकता है और आवश्यक कदम उठा सकता है। उन्होंने इसके लिए गोयल से आग्रह किया।

एसआरएमआईएसटी के चांसलर डॉ. टीआर पारिवेंधर ने वैश्विक वेबिनार में सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा और उद्योग एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और सहयोग की क्षमता बहुत बड़ी है, खासकर शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाने में।

भारत में बेरोजगारी की समस्या को हल करने की दिशा में शिक्षा के लिए योजनाओं और वित्तीय आवंटन पर सरकार को जानकारी देने में फिक्की की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ. पारिवेंधर ने कहा, पिछले शैक्षणिक वर्ष में एसआरएम के 8,500 से अधिक छात्रों का विभिन्न कंपनियों में चयन हुआ। एसआरएमआईएसटी के वाइस चांसलर डॉ. संदीप संचेती ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया।

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